छात्रसंघ चुनावों में सोशल मीडिया बना सहारा, वाट्स एप व फेसबुक पर हो रहा है प्रचार
छात्रसंघ का चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों का प्रचार अब सड़कों पर कम और सोशल साइट्स पर ज्यादा जोर पकड़ रहा है. छात्र नेता व ...अधिक पढ़ें
- News18 Rajasthan
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छात्रसंघ का चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों का प्रचार अब सड़कों पर कम और सोशल साइट्स पर ज्यादा जोर पकड़ रहा है. छात्र नेता वाट्स एप, फेसबुक और ट्वीटर पर अब अपने वादे और दावे कर रहे हैं. कई प्रत्याशियों ने अपनी अलग से आईटी टीम बनाकर भी सोशल मीडिया पर व्यवस्थित रूप से प्रचार शुरू कर दिया है.
गत लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कैम्पेनिंग में सोशल साइट्स का खूब योगदान रहा था. फेसबुक और वाट्स एप पूरी तरह से भाजपामय नजर आने लग गए थे. मोदी की सफलता में उनका यह प्रयोग काफी सफल साबित हुआ था. इस बार राजस्थान यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनावों में छात्र नेताओं ने भी सोशल साइट्स पर प्रचार करने में अपनी पूरी ताकत लगा दी है. इसके लिए कई प्रत्याशियों ने आईटी एक्सपर्ट्स तक का सहारा लिया है तो कई प्रत्याशी अपने आईटी सहपाठियों के जरिए सोशल साइट्स पर कैम्पेनिंग में जुटे हुए हैं.
संघर्ष को शॉर्ट मूवीज के जरिए प्रस्तुत कर रहे हैं
ज्यादातर छात्र नेताओं का प्रचार वाट्स एप पर प्रचार चल रहा है. इसके जरिए वे अपनी उपलब्धियां और छात्र हितों के लिए किए अपने संघर्ष को शॉर्ट मूवीज के जरिए प्रस्तुत कर रहे हैं. इसके साथ ही प्रत्याशियों में ट्वीटर और फेसबुक पर अपने फोलोअर्स बढ़ाने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं. यूट्यूब पर शार्ट मूवीज अपलोड कर उन्हें वायरल किया जा रहा है.
लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का भी है असर
छात्रसंघ चुनाव के लिए जस्टिस लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों में पांच हजार रुपए चुनावी खर्च की सीमा तय है. जबकि प्रचार के लिए पेम्पलेट, पोस्टर और बैनर में मोटा खर्चा होता है. ऐसे में सोशल साइट्स पर प्रचार काफी सस्ता और सुविधाजनक है. हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने आयू कैम्पस में प्रचार के लिए जगह चिन्हित कर रखी है, लेकिन खुद विश्वविद्यालय के डीन (स्टूडेंट वेलफेयर) भी विद्यार्थियों से इस बात की अपील कर रहे हैं वे सोशल साइट्स पर प्रचार करें.
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