25 साल में सीवर साफ करते हुए 634 सफाईकर्मियों ने गंवाई जान : रिपोर्ट
दिल्ली में 1993 से लेकर अब तक सीवर और सेप्टिक टैंकों की पारंपरिक तरीके से साफ-सफाई के दौरान 33 लोगों की मौत हुई है.
- भाषा
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देश में सफाईकर्मियों की हालत से जुड़े बेहद हैरान कर देने वाले आंकड़े सामने आए हैं. पिछले 25 साल में सेप्टिक टैंकों और सीवरों की पारंपरिक तरीके से सफाई के दौरान 634 सफाई कर्मचारियों की जान जा चुकी है. ये आंकड़े राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) ने जारी किए हैं.
इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि यह आंकड़ा बदल सकता है क्योंकि आयोग राज्यों से ब्योरा इकट्ठा करने और जानकारी जुटाने की प्रक्रिया में है.
सरकारी इकाई ने पहली बार इस तरह की मौतों का ब्योरा इकट्ठा किया है. पिछले हफ्ते दिल्ली में दो अलग-अलग घटनाओं में छह सफाईकर्मियों की मौत के बाद ब्योरा इकट्ठा करने की प्रक्रिया ने जोर पकड़ा है.
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आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1993 से लेकर अब तक देशभर में सेप्टिक टैंकों और सीवर की पारंपरिक तरीके से सफाई के दौरान 634 सफाई कर्मचारियों की मौत हुई है. 194 लोगों की मौत के आंकड़े के साथ तमिलनाडु में इस तरह की सर्वाधिक मौतें हुई हैं. इसके बाद गुजरात में 122, कर्नाटक में 68 और उत्तर प्रदेश में 51 सफाईकर्मियों की जान गई.
दिल्ली में 1993 से लेकर अब तक सीवर और सेप्टिक टैंकों की पारंपरिक तरीके से साफ-सफाई के दौरान 33 लोगों की मौत हुई है.
अधिकारी ने कहा, "पारंपरिक तरीके से साफ-सफाई का कोई विशिष्ट आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. इस तरह के काम के लिए लोगों की सेवा लेने वाले ठेकेदार कानून का पालन नहीं करते. देश में सीवर और सेप्टिक टैंकों की पारंपरिक तरीके से साफ-सफाई पर 1993 में रोक लगा दी गई थी."
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