किसानों से लेकर तेंदूपत्ता संग्राहकों तक सभी खुशहाल हैं: कृषि मंत्री
रायपुर से अलग होकर गरियाबंद जिला 1 जनवरी 2012 को अस्तित्व में आया था. इसके बाद गरियाबंद ने जिला बनने के 6 साल के अंदर ह ...अधिक पढ़ें
- News18 Chhattisgarh
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से अलग होकर गरियाबंद जिला 1 जनवरी 2012 को अस्तित्व में आया था. इसके बाद गरियाबंद ने जिला बनने के 6 साल के अंदर ही विकास के कई सीढ़ियां तय किए हैं. किसानों से लेकर तेंदूपत्ता संग्राहकों तक सभी खुशहाल हुए हैं.
मालूम हो कि गरियाबंद नक्सल प्रभावित जिला है. बावजूद इसके राज्य सरकार ने यहां विकास की गंगा बहाने में कई सफलताएं हासिल की है. चाहे सौर सुजला योजना द्वारा किसानों को सोलर पंपों का वितरण करना हो या फिर कृषि उपकरणों में दी जाने वाली सब्सिडी हो. यहां किसान सभी योजनाओं का बराबर लाभ उठा रहे हैं. केवल धान की फसल छोड़कर किसान यहां हर तरह की सब्जी की खेती कर रहे हैं. इससे उन्हें लाभ भी मिल रहा है. गरियाबंद के किसान सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं के लिए सरकार का धन्यवाद भी कर रहे हैं.
प्रदेश के कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का भी कहना है कि उनकी सरकार ने जो काम किए हैं वो पहले किसी भी सरकार ने नहीं किया है. मालूम हो कि गरियाबंद पहाड़ों से घिरा हुआ जिला है. ऐसे में जिन क्षेत्रों में बिजली नहीं पहुंची है वहां के किसानों को सोलर पंप दिया जा रहा है. बता दें कि विकास यात्रा के दूसरे चरण में एक ही दिन में 2 हजार से अधिक किसानों को सोलर पंप प्रदान किया गया.
बता दें कि गरियाबंद जिला वनों से घिरा हुआ है. ऐसे में तेंदूपत्ता संग्राहकों को तोहफा देते हुए सरकार ने समर्थन मूल्य 1800 रुपए से बढ़ाकर 2500 रुपए मानक बोरा कर दिया है. इतना ही नहीं अकेले गरियाबंद जिले में 69 करोड़ रुपए बोनस के रूप में सरकार ने इस साल बांटा है. लिहाजा, गरियाबंद में खुशहाल होते किसानों और आदिवासियों की तस्वीर समृद्ध होते छत्तीसगढ़ की निशानी है.
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