नवाज शरीफ और मरियम के पास सज़ा से बचने के क्या है उपाय...

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नवाज शरीफ और मरियम के पास सज़ा से बचने के क्या है उपाय...

नवाज शरीफ की फाइल फोटो- AP

नवाज शरीफ की फाइल फोटो- AP

लंदन में चार आलीशान फ्लैट्स के मालिकाना हक से जुड़े एवेनफील्ड संपत्ति मामले में दोषी ठहराया गए नवाज को 10 साल की जेल और ...अधिक पढ़ें

    पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज़ को भ्रष्टाचार के एक मामले में लाहौर स्थित अल्लामा इकबाल हवाई अड्डे पर शुक्रवार रात गिरफ्तार कर लिया गया. नवाज को रावलपिंडी स्थित अदियाला जेल ले जाया गया, वहीं उनकी बेटी मरियम को सिहाला रेस्टहाउस ले जाया गया, जिसे उपजेल घोषित किया गया है.

    लंदन में चार आलीशान फ्लैट्स के मालिकाना हक से जुड़े एवेनफील्ड संपत्ति मामले में दोषी ठहराया गए नवाज को नेशनल एकाउन्टबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) ने जहां 10 साल की जेल और करीब 128 करोड़ पाकिस्तानी रुपए का जर्माना लगाया है, वहीं मरियम को 7 साल की जेल के साथ 32 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है. हालांकि नवाज और मरियम के पास अभी भी अपनी सजा के खिलाफ अपील करने का अधिकार है.

    एनएबी के अध्यादेश की धारा 32 के तहत शरीफ के पास इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) के दो जजों के समक्ष अपील करने का अधिकार है. आईएचसी में अपील को स्वीकार करने के लिए शक्तियां हैं जिसमें अपील को स्वीकार करना, सजा को मुल्तवी करने और सजा को रद्द करने का अधिकार है.

    जो दोषी आत्मसमर्पण नहीं करते हैं, आमतौर पर अपील नहीं कर सकते हैं . यह उस सिद्धांत पर आधारित है कि जिसमें खुद को कानून के समक्ष समर्पण करने वाले को कानून का संरक्षण मिलता है.


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    लाहौर हाईकोर्ट साल 2002 में इसी तरह का मामले सामने आया था, जिसमें दिवंगत बेगम नुसरत भुट्टो पर एनएबी अध्यादेश के तहत मामला चलाया गया और उन्हें दोषी ठहराया गया. नुसरत भुट्टो की सजा के बाद, उनकी बेटी ने नुसरत भुट्टो की तरफ से अपील दायर की, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. बेगम नुसरत को कानून के तहत एक भगोड़ा माना गया था और इसलिए वह अपील करने की हकदार नहीं थीं.

    शरीफ, सीआरपीसी की धारा 426 (1) के तहत सजा (लंबित अपील) के निलंबन के लिए अपनी याचिका दायर कर सकते हैं. सीआरपीसी की धारा 426 (1) ऐसे हालात से जुड़ा है, जिसमें दोषी करार दिया गया कोई शख्स पुलिस के सामने समर्पण किए बिना, कोर्ट के सामने पेश होकर सजा के निलंबन के लिए याचिका दायर कर सकता है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी के पिछले एक महीने से फरार होने के तथ्य को दरकिनार करते हुए हाईकोर्ट में उसकी पेशी को ही सरेंडर माना.

    ऐसे में नवाज शरीफ के पास भी अदालत के समक्ष उपस्थित होते हुए सीआरपीसी की धारा 426 (1) के तहत 'आत्मसमर्पण' करने का विकल्प मौजूद है. आईएचसी के पास सजा को निलंबित करने और/या अभियुक्तों को जमानत देने का अधिकार है.

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    Tags: Nawaz sharif, Pakistan

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