रेल किराये में धीरे-धीरे हो इजाफा- संसदीय समिति
रेलवे के घाटे और रेलकर्मियों के पेंशन की रकम में हो रही बढ़ोत्तरी पर विचार करते हुए संसदीय समिति ने किराया बढ़ाने का यह ...अधिक पढ़ें
- भाषा
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भारतीय रेल के घाटे की भरपाई के लिए संसदीय समिति ने रेल किराए में समय-समय पर थोड़ी बढ़ोत्तरी करने की सिफारिश की है. रेलवे के घाटे और रेलकर्मियों के पेंशन की रकम में हो रही बढ़ोत्तरी पर विचार करते हुए कमिटी ने किराया बढ़ाने के साथ-साथ ये भी सुझाव दिया कि रेलवे द्वारा कर्मचारियों को दिए जाने वाले पेंशन का कुछ हिस्सा वित्त मंत्रालय खुद वहन करे.
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कैश की समस्या से जूझ रही रेलवे देश में रोजगार मुहैया कराने वाला सार्वजनिक क्षेत्र का सबसे बड़ा संगठन है जो मौजूदा दौर में पेंशन पेमेंट के दबाव में है. रेलवे को सालाना 50,000 करोड़ रुपये पेंशन के तौर पर भुगतान करना पड़ता है, जबकि यात्रियों के मद में इसका घाटा बढ़कर 35,000 करोड़ रुपये हो गया है.
संसद को सौंपी रिपोर्ट में रेलवे कन्वेंशन कमिटी (आरसीसी) ने रेलवे के आंतरिक संसाधन सृजन की समीक्षा करते हुए यह भी सिफारिश की है कि रेलवे को अपने घाटों के मद्देनजर यात्री मद में आय बढ़ाने के लिए समय-समय पर और तर्कसंगत तरीके से रेल किरायों में बढ़ोत्तरी करनी चाहिए.
रेलवे के अनुसार, यात्री किराए को लंबे समय से न बढ़ाया जाना घाटे का मुख्य कारण है. हालांकि कुछ ट्रेन की कुछ श्रेणियों के किराए को बढ़ाया गया, लेकिन इनमें यात्रियों की संख्या काफी कम है.
कमिटी ने कहा है कि 'फ्लेक्सी फेयर' लागू करने की वजह से रेलवे को जो फायदा हुआ है, उसकी अलग से समीक्षा की जाए. बताया जाता है कि फ्लेक्सी फेयर कभी-कभी फ्लाइट के इकॉनोमी क्लास के किराए के बराबर तक पहुंच जाता है.
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कमिटी ने रेलवे की आमदनी को लेकर गहरी चिंता ज़ाहिर की है क्योंकि कमिटी ने पाया कि पिछले पांच साल यानी 2013-14 से लेकर 2017-18 के दौरान सिर्फ 2014-15 को छोड़कर बाकी अवधि में अंदरूनी तौर पर राजस्व पैदा करने जो लक्ष्य रेलवे का था उसे पूरा नहीं किया जा सका.
यह कमी वर्ष 2013-14, 2015-16, 2016-17 और 2017-18 में क्रमश: 2,828 करोड़ रुपये, 789 करोड़ रुपये, 2,782 करोड़ रुपये और 8,238 करोड़ रुपये रही.
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