डूबने की कगार पर पहुंची 70 कंपनियां, RBI की तय सीमा हो रही है खत्म
कर्ज में डूबी 70 बड़ी कंपनियों का भविष्य अधर में है. इनमें बैंकों का 3.8 लाख करोड़ रुपये का कर्ज फंसा हुआ है. इस समस्या ...अधिक पढ़ें
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कर्ज में डूबी 70 बड़ी कंपनियों का भविष्य अधर में है. इनमें बैंकों का 3.8 लाख करोड़ रुपये का कर्ज फंसा हुआ है. इस समस्या से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने 27 अगस्त की समयसीमा तय की थी, जो करीब आ गई है. अगर सोमवार तक बैंक इसके बारे में कोई समाधान योजना पेश नहीं करते हैं तो फिर उन पर एनसीएलटी यानि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में दिवालिया घोषित करने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाएगा. ट्रेडस्विफ्ट ब्रोकिंग के डायरेक्टर संदीप जैन का मानना है कि कार्रवाई आगे बढ़ने पर शेयर बाजार को एक जोर का झटका लग सकता है. हालांकि लंबी अवधि में ये बैंकिंग और बाजार के लिहाज से अच्छा होगा. (ये भी पढ़ें-रुपये के गिरने पर RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कही ये बात)
आरबीआई ने संकटग्रस्त एसेट के समाधान के लिए 12 फरवरी को नए दिशानिर्देश जारी किए थे, जिनके तहत बैंकों को 180 दिन के भीतर अपनी योजना को अंतिम रुप देना है. 2,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक राशि के बड़े डिफॉल्टर खातों के लिए यह नियम एक मार्च 2018 से लागू हुआ. (ये भी पढ़ें-पेंशन मुद्दे पर 4-5 सितंबर को सामूहिक अवकाश पर रहेंगे RBI कर्मचारी)
अगर बैंक 180 दिन के भीतर समाधान योजना पेश करने में नाकाम रहते हैं तो उन्हें डिफॉल्ट खातों के खिलाफ दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी. इनमें 34 खाते केवल बिजली क्षेत्र के हैं जिनमें बैंकों के 2 लाख करोड़ रुपये फंसे हैं. वैसे 3.8 लाख करोड़ रुपये के कर्ज वाले एसेट में से करीब 92 फीसदी को बैंक पहले की एनपीए की श्रेणी में डाल चुके हैं. (ये भी पढ़ें-RBI ने लॉन्च किया UPI का नया वर्जन, आपको मिलेंगे ये 4 फायदें)
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