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राहुल गांधी को PM बनाना चाहती है कांग्रेस, लेकिन किसी और को मौका देने से ऐतराज नहीं
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राहुल गांधी को PM बनाना चाहती है कांग्रेस, लेकिन किसी और को मौका देने से ऐतराज नहीं

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की फाइल फोटो
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की फाइल फोटो

सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री पद को लेकर राहुल गांधी खुद भी खासे फ्लेक्सिबल हैं और वह विपक्षी गठबंधन की किसी महिला उ ...अधिक पढ़ें

    राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टी का चेहरा बताने के 48 घंटे के अंदर ही कांग्रेस ने इस पर अपना रुख बदल लिया है. कांग्रेस ने कहा कि पीएम पद के लिए वह सहयोगी पार्टियों के नेताओं का समर्थन करने को तैयार है, बशर्ते वह उम्मीदवार आरएसएस समर्थित न हो.

    न्यूज18 को पार्टी के टॉप सूत्रों ने बताया कि पीएम पद के लिए राहुल गांधी की उम्मीदवारी इस बात पर निर्भर करती है कि 2019 में पार्टी को कितनी सीटें मिलती हैं. बता दें कि रविवार को कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक के बाद कांग्रेस की तरफ से कहा गया था कि 2019 में राहुल गांधी पार्टी का चेहरा होंगे.

    अब पार्टी के नेताओं का कहना है कि बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए वह क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार है खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में. दोनों ही राज्यों में गठबंधन कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है, पार्टी को यहां सपा, बसपा और राजद की शर्तें भी स्वीकार करनी होंगी.

    उत्तर प्रदेश में जहां 80 लोकसभा सीटें हैं वहीं बिहार में 40 सीटें हैं. इस तरह दोनों राज्यों में लोकसभा की 22 प्रतिशत सीटें हैं.

    सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री पद को लेकर राहुल गांधी खुद भी खासे फ्लेक्सिबल हैं और वह विपक्षी गठबंधन की किसी महिला उम्मीदवार के लिए खुद ही पीछे हटने के लिए तैयार हैं. कहा जा रहा है कि आरएसएस समर्थित व्यक्ति के अलावा वह किसी के भी प्रधानमंत्री बनने पर सहज हैं.

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    कांग्रेस के रुख में इस बदलाव से यह साफ है कि विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर महागठबंधन तैयार करने के लिए वह त्याग करने के लिए तैयार है. पार्टी यह समझती है इस महागठबंधन को जोड़े रखने के लिए पार्टी को लेने से ज्यादा देना होगा.  इसके साथ ही पार्टी को यह भी स्वीकार करना होगा कि पार्टी के वर्चस्व के दिन समाप्त हो गए हैं.


    राहुल गांधी को पीएम पद का चेहरा बनाने के फैसले का जेडीएस के अलावा किसी और सहयोगी पार्टी ने समर्थन नहीं किया. ममता बनर्जी ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, वहीं तेजस्वी यादव ने कहा कि इस पद के लिए और भी कई उम्मीदवार हैं. ममता और मायावती पहले ही विपक्ष का चेहरा बनने के दावे कर चुकी हैं.

    CWC की बैठक में नेता इस बात पर एकमत हुए कि उन्हें हर राज्य के हिसाब से गठबंधन करने पर फोकस करना चाहिए और उन्हीं राज्यों में गठबंधन करना चाहिए जहां पार्टी कमजोर है. बैठक में पी चिदंबरम ने कहा कि पार्टी को 12 राज्यों में अकेले चुनाव लड़ना चाहिए.

    चुनाव से पहले और चुनाव के बाद विपक्ष को जोड़े रखने की जिम्मेदारी राहुल गांधी को दी गई है. हालांकि इससे पार्टी के वर्तमान सहयोगियों और संभावित सहयोगियों में संदेश गया कि उन्हें राहुल गांधी के मार्गदर्शन में चुनाव लड़ना होगा क्योंकि कांग्रेस की पूरे देश में पहुंच है.  कांग्रेस ने अपने लिए भी 200 सीटों का एक बड़ा टारगेट रखा है. पार्टी ने 2014 में महज 44 सीटें जीती थीं.


    विपक्षी खेमे में कयास लगाए जा रहे हैं कि 2019 में प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में किसी महिला को प्रोजेक्ट किया जा सकता है. इसके लिए बसपा नेता मायावती और टीएमसी नेता ममता बनर्जी के नामों की चर्चा है.

    सूत्रों के मुताबिक, 'टीडीपी, शिवसेना जैसी पार्टियां बीजेपी से नाराज हैं ऐसे में अगले चुनाव में वह ज्यादा सीटें नहीं जीत पाएगी.' सूत्रों ने कहा कि नरेंद्र मोदी को दोबारा पीएम बनाने के लिए बीजेपी को 280 के करीब सीटें जीतनी होंगी जो कि संभव नहीं है. हालांकि इस सूत्र ने यह भी कहा कि यदि कांग्रेस को पर्याप्त सीटें मिलीं तो राहुल गांधी पीएम बन सकते हैं.

    Tags: Congress, General Election 2019, Rahul gandhi