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काले जादू के चक्कर में चेले ने अपने गुरु के पूरे परिवार का किया खात्मा

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काले जादू के चक्कर में चेले ने अपने गुरु के पूरे परिवार का किया खात्मा

सांकेतिक चित्र
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केरल में एक परिवार के चार सदस्यों की नृशंस हत्या के केस में जो शक और सबूत सामने आए, उनसे काले जादू की ऐसी कहानी खुली जि ...अधिक पढ़ें

    काला जादू करने वाले कृष्णन के पास किसी बात की कमी नहीं थी. बड़े बड़े लोग उसकी जादुई ताकतों से फायदा लेने के लिए उसके क्लाइंट बन चुके थे और कृष्णन इसके अलावा और क्या करता था, यह तो उसके परिवार को ही नहीं पता था. खुद कृष्णन को ही भनक नहीं थी कि जिस काले जादू की विद्या पर वह इतराता है, उसी काले जादू की वजह से उसकी ही नहीं बल्कि उसके पूरे कुनबे के कत्ल की साज़िश रची जा रही है.

    50 साल की उम्र पार कर चुका कृष्णन अपने परिवार के साथ केरल के एर्नाकुलम शहर की भीड़-भाड़ से दूर एक सुनसान जगह पर रहता था. यहां उसने कुछ पालतू जानवर पाल रखे थे और एक छोटा सा बगीचा भी बना लिया था. इस सुनसान में वह इसलिए रहता था ताकि काले जादू से जुड़ी अपनी साधना शांति से कर सके. पिछली 29 जुलाई को आधी रात के बाद जब कृष्णन और उसका पूरा परिवार यानी पत्नी सुशीला और दोनों बच्चे नींद में थे तभी उसके घर से कुछ दूरी पर एक मोटर बाइक रुकी.

    मोटर बाइक से दो नकाबपोश उतरे और दोनों के हाथ में लोहे की छड़ें थीं. दोनों फुर्ती से कृष्णन के घर की तरफ बढ़े और पहले वहां बंधे दो चार जानवरों को बुरी तरह पीटा. बछड़ों और बकरियों के मिमियाने की आवाज़ सुनकर कुछ ही देर में जैसे ही हट्टे-कट्टे कृष्णन ने दरवाज़ा खोला तो एक भारी लोहे की छड़ ज़ोर से उसके सिर पर पड़ी. कृष्णन वहीं गिर पड़ा. इसके बाद उसके सिर पर छड़ से एक दो प्रहार और किए गए. कृष्णन के कराहते हुए गिरने की आवाज़ सुनकर सुशीला बाहर आई और उस पर भी ऐसे ही हमला हुआ.

    कृष्णन और सुशीला के दम तोड़ देने के बाद दोनों नकाबपोश घर के भीतर दाखिल हुए. वहां उन्होंने देखा कि करीब 20-21 साल की अर्शा और 17 साल का अर्जुन अपने-अपने बिस्तर पर नींद से तकरीबन जाग चुके थे. एक-एक नकाबपोश दो बिस्तरों की तरफ गया और अर्शा व अर्जुन के सिर पर लोहे की छड़ से पूरी ताकत से वार किया. दोनों आधी नींद में ही ढेर हो गए. करीब एक घंटे बाद ये दोनों नकाबपोश उस सुनसान घर से गायब हो गए. लेकिन अचानक ये सब हुआ क्यों?

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    इस सवाल के जवाब के पीछे तीन साल की कहानी है. तीन साल पहले कृष्णन के पास 26-27 साल का एक लड़का अनीश आया था जिसकी कुछ समस्याएं थीं. उसकी शादी नहीं हो रही थी और उसका घर नहीं बन पा रहा था. हर बार बात चलती, आगे बढ़ती लेकिन कोई न कोई अड़चन आ जाती और न तो शादी होती न ही मकान बन पाता. इसी सिलसिले में अनीश ने हर जतन किया. रत्न पहने, पूजा पाठ किए लेकिन कोई हल नहीं निकला. तब उसने कृष्णन के बारे में सुना और वह उसके पास चला आया.

    कृष्णन : यहां का पता किसने बताया?
    अनीश : आपने जिनका भला किया था, उन्हीं मिस्टर स्वामी ने.
    कृष्णन : क्या चाहता है?
    अनीश : बाबा, मेरी शादी और मकान का काम हर बार अटक जाता है. आपका बहुत नाम सुना है, कुछ जादू कीजिए.
    कृष्णन : जादू करेगा लेकिन पैसा, वक्त और तेरा संयम लगेगा उसमें. कठिन होता है जादू, तेरे को चलेगा?
    अनीश : आप जैसा कहेंगे, करूंगा बाबा. अब तो बस ये समझिए कि मेरे लिए आप ही सब कुछ हैं.

    इसके बाद कृष्णन ने अनीश की समस्या के समाधान के लिए कई तरह के तंत्र मंत्र किए. यज्ञ, पूजा पाठ के साथ ही अनीश को कठिन से कठिन काम करने के लिए कहा जो काले जादू में होते हैं जैसे हाथ पर जलता हुआ कपूर रख लेना, हवन में खून चढ़ाना वगैरह. अनीश दो महीने तक कृष्णन के साथ जब ये सब क्रियाएं करता रहा तो अनीश की दिलचस्पी इस विद्या में जाग उठी और एक दिन अनीश ने कृष्णन से कहा कि वह यह विद्या सीखना चाहता है और उसका चेला बनकर रहना चाहता है.

    इस पर कृष्णन ने पहले कुछ ना-नुकुर की लेकिन अनीश की ज़िद के बाद वह राज़ी हो गया. शुरुआत में तांत्रिक और जादुई क्रियाओं की सामग्री बनाने, तैयार करने जैसी बातें बताने के बाद कृष्णन ने अनीश को तंत्र मंत्र का ज्ञान देना शुरू किया. पूरी तल्लीनता और लगन के साथ अनीश यह सब कुछ सीखने लगा और एक साल बाद ही वह इतना एक्सपर्ट हो गया कि कृष्णन का अच्छा असिस्टेंट बन गया. अब वह कृष्णन के लगभग हर काम में पूरी तरह साथ देने लगा था.

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    कृष्णन के पूरे परिवार को अनीश जानने लगा था और वह कृष्णन की कुछ घरेलू बातों में भी शामिल होने लगा था. लेकिन कृष्णन को एकाध बार शक हुआ कि अनीश की नज़र अर्शा पर कुछ ठीक नहीं है. इसलिए कृष्णन घर से और कुछ बातों में अनीश को दूर ही रखता था. धीरे-धीरे अनीश को समझ आया कि कृष्णन की ज़िंदगी में कुछ ऐसे राज़ ज़रूर हैं जो उसकी बीवी और परिवार तक को नहीं पता. कुछ खास लोगों से मिलने या उनके लिए तांत्रिक क्रियाएं करने के लिए कृष्णन जान बूझकर अनीश को शामिल नहीं करता था.

    और एक-डेढ़ साल में अनीश को लगने लगा था कि वह बहुत कुछ सीख चुका है और अब उसे अपने और अपने परिवार की ज़िम्मेदारियों के लिए कुछ करना चाहिए. यही कहकर उसने कृष्णन को छोड़कर जाने की बात की. कृष्णन पहले तो कुछ नाराज़ हुआ लेकिन फिर वह मान गया. कृष्णन ने कहा कि जब वह अपने काम निपटा ले, तब वापस आ जाए. अनीश ने भी इस बात पर हामी भरी और कहा कि वह चित्रकार के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहता है. कुछ समय तक किस्मत आज़माने के बाद अगर बात नहीं बनी तो वह लौट आएगा.

    यह कहकर अनीश चला गया और कुछ दिनों तक वह कृष्णन से और कृष्णन उससे लगातार फोन पर बातें करता था. फिर करीब छह महीने पहले फोन पर दोनों के बीच बातचीत होना बंद हो गई. इस बीच, अनीश अपने एक साथी लिबीश से तंत्र मंत्र की विद्या के बारे में और अपने भीतर एक अद्भुत शक्ति होने के बारे में बातचीत करता था. लिबीश एक तरह से अनीश के पूरे प्रभाव में आ चुका था. लिबीश के जीवन में भी कुछ समस्याएं थीं और उसे लगने लगा था कि अनीश उसके लिए कोई हल निकाल सकता है.

    इधर, अनीश के मन में कुछ और ही खिचड़ी पक रही थी. दौलत और पूरी ताकत पाने की एक ख्वाहिश अनीश के भीतर मचल रही थी और उसे पता था कि यह कहां है, बस वह उस तक पहुंचने का रास्ता तैयार कर रहा था. इसी तैयारी में उसने लिबीश को मोहरा बनाने की चाल चली थी. उसने बातों-बातों में लिबीश को बताया था कि कृष्णन के पास बहुत दौलत है. अनीश ने कहा था कि उसे पता चला है कि कृष्णन की मूर्तियों की तस्करी में शामिल रहा इसलिए वह उसे उन खास लोगों या उस काले जादू में शामिल नहीं करता था.


    एक दिन लिबीश ने जब अनीश से कहा कि अनीश उसकी समस्या को हल करने की बात हर बार टाल रहा है तो अनीश ने उससे कहा कि इस समस्या को सुलझाने के लिए एक खास किस्म की तांत्रिक क्रिया की ज़रूरत है. फिर अनीश ने कहा कि कृष्णन के पास तंत्र मंत्र का बहुत पुराना खज़ाना है. पुराने समय के ताम्र पत्रों पर लिखा बहुत सा लिटरेचर है जिसे हासिल करना होगा, तभी लिबीश की समस्या के समाधान का रास्ता खुलेगा.

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    अनीश ने बात उस खज़ाने की की थी लेकिन उसकी नज़र किसी और खज़ाने पर थी. फिर उसने बातों बातों में लिबीश को इस लूट में शामिल होने के लिए राज़ी कर लिया. लूट के मकसद से अनीश और लिबीश 29 जुलाई की रात कृष्णन के उस सुनसान घर में पहुंचने से कुछ दिन पहले चुपके से वहां नज़र रख चुके थे और जायज़ा ले चुके थे कि वहां कृष्णन के परिवार के अलावा कोई और नहीं है. उस रात कृष्णन और उसके पूरे परिवार यानी चार कत्ल करने के बाद अनीश ने पूरा घर छाना.

    ताम्र पत्रों में लिखा लिटरेचर, बहुत सारा सोना और जो भी कैश घर में था, वह सब दोनों ने अपने बैग में भर लिया था. उस घर से निकलते वक्त अनीश की नज़र अर्शा की लाश पर पड़ी तो उसने कुछ ज़ेवर पहने हुए थे. अनीश ने ये सारे ज़ेवर निकालते हुए लिबीश से कहा कि वह उसकी मां के ज़ेवर निकाले. ज़ेवर निकालते हुए अनीश की नीयत और खराब हो गई और पहले से ही वह अर्शा पर बुरी नज़र रखता था.

    अनीश ने ज़ेवर निकालने के बाद अर्शा की लाश के कपड़े फाड़कर उसके साथ दुष्कर्म किया. जब ऐसा करते हुए लिबीश ने देखा तो उसने हैरानी ज़ाहिर की. अनीश ने कहा कि तांत्रिक साधना में लाश के साथ भी संभोग किया जाता है. अनीश ने लिबीश को सुशीला के साथ ऐसा करने के लिए कहा. लिबीश ने कोशिश की लेकिन एक हद के बाद उससे ऐसा करते नहीं बना. तब अनीश ने उसे मर्दानगी का ताना देकर सुशीला के साथ भी दुष्कर्म करके दिखाया.

    फिर दोनों ने मिलकर लाशों को ठिकाने लगाने के बारे में सोचा. दोनों ने मिलकर चारों लाशों को घसीटकर घर के पास बने एक छोटे से गड्ढे में फेंक दिया. अनीश ने लिबीश से कहा कि मोटरबाइक में एक बोतल है, वह लेकर आए. लिबीश लेकर आया तो अनीश ने उन लाशों पर उस बोतल में भरा एसिड भी फेंका ताकि लाशों के चेहरे न पहचाने जा सकें.

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    इसके बाद दोनों ने चारों तरफ देखा और किसी के आसपास न होने की तसल्ली होते ही वहां से भाग गए. अगली सुबह एक पूरे परिवार की चार लाशें बरामद हुईं और यह अंधा कत्ल बन चुका था. करीब एक हफ्ते तक पुलिस छानबीन करती रही लेकिन कातिल गिरफ्त से बाहर रहे. इधर कत्ल के बाद अनीश और लिबीश अलग अलग हो गए. अनीश ने फरार होने के वक्त का इस्तेमाल करते हुए उस लिटरेचर को पढ़ा और वह जो भी समझा, उसके हिसाब से दो अगस्त की रात उसने काले जादू की एक पूजा की.

    इस पूजा में अनीश ने एक तगड़े मुर्गे की बलि चढ़ाई, अपना भी कुछ खून चढ़ाया और पूरे मंत्रोच्चार के साथ उसने तांत्रिक क्रिया की. अनीश को काले जादू पर पूरा भरोसा था और उसने यह क्रिया इसलिए की थी ताकि कत्ल को अंजाम देने के बाद उस पर कोई मुसीबत न आए.


    इधर, इस मामले में कातिलों तक पहुंचने के लिए पुलिस ने करीब 400 लोगों से पूछताछ की और 5 हज़ार फोन कॉल्स की छानबीन की. पिछले सोमवार यानी 6 अगस्त को लिबीश गिरफ्त में आ गया और लिबीश की निशानदेही पर मंगलवार रात पुलिस ने अनीश को केरल के इदुक्की ज़िले के पास से गिरफ्तार कर लिया. फिलहाल मामले की तह तक पहुंचने के लिए पुलिस जांच कर रही है और अब तक कुछ बातें शक के तौर पर ज़ाहिर की गई हैं.

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    Tags: Kerala, Murder