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पशुपालन विभाग में चल रहा 'एप्रोच' का खेल, शहर में भरे हैं चिकित्सक, गांव खाली
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पशुपालन विभाग में चल रहा 'एप्रोच' का खेल, शहर में भरे हैं चिकित्सक, गांव खाली

फोटो: न्यूज18 राजस्थान
फोटो: न्यूज18 राजस्थान

'एप्रोच' के बलबूते शहरों के पशु अस्पतालों में इतने डॉक्टर्स और कर्मचारी जमे हुए हैं, जितने इलाज के लिये पशु भी नहीं आते ...अधिक पढ़ें

    पशुपालन विभाग में 'एप्रोच' का जबर्दस्त खेल चल रहा है. इस खेल के चलते ग्रामीण इलाकों के करीब एक हजार अस्पताल बिना डॉक्टर्स के ही चल रहे हैं. पशु इलाज को तरस रहे हैं. दूसरी तरफ 'एप्रोच' के बलबूते शहरों के पशु अस्पतालों में इतने डॉक्टर्स और कर्मचारी जमे हुए हैं, जितने इलाज के लिये पशु भी नहीं आते. इससे पशुओं के इलाज का पूरा गणित ही गड़बड़ा हुआ है. विभाग में पशु चिकित्सकों के करीब 3 हजार पद हैं और इनमें से करीब 1 हजार खाली पड़े हैं.

    उल्टी गंगा बह रही है

    प्रदेश में करीब पौने 6 करोड़ पशुधन है. इनमें से करीब 80 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र में है. लेकिन पशुपालन विभाग में गंगा उल्टी दिशा में बह रही है. शहरी क्षेत्र में चिकित्सकों की भरमार है, वहीं पिछड़े जिलों और ग्रामीण क्षेत्र में पशु चिकित्सालय खाली पड़े हैं. पशुपालन महकमे के मंत्री खुद मानते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में पशु चिकित्सकों के करीब 40 प्रतिशत खाली हैं. डूंगरपुर, बाड़मेर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, जैसलमेर और जालौर जैसे पिछड़े और सरहदी जिलों में तो पशु चिकित्सकों के 50 से 80 प्रतिशत तक खाली पड़े हैं.

    इसके उलट जयपुर और दूसरे बड़े शहरों के पशु अस्पतालों में जरुरत नहीं होने के बावजूद डॉक्टर्स की भरमार है. ग्रामीण क्षेत्र में करीब एक हजार ऐसे पशु अस्पताल हैं जिनमें पशु चिकित्सकों के पद तो स्वीकृत हैं, लेकिन वहां पशु चिकित्सक कार्यरत नहीं है. पशुधन सहायक के भरोसे अस्पताल चल रहा है.

    जयपुर के पॉली क्लीनिक में 13 पशु चिकित्सक कार्यरत

    दूसरी ओर शहरों के अस्पतालों में पशु पर्याप्त संख्या में इलाज के लिये ही नहीं पहुंच रहे, लेकिन फिर भी चिकित्सकों की भरमार है. हालात ये हैं कि कई बार तो अस्पताल पहुंचे बीमार पशु को अपने खाते में दिखाने के लिये डॉक्टर्स में आपसी मनमुटाव तक हो जाता है. राजधानी जयपुर के पॉली क्लीनिक में 13 पशु चिकित्सक कार्यरत हैं, लेकिन इलाज के लिये आने वाले पशुओं का आंकड़ा पीक सीजन में 200 तक बमुश्किल पहुंचता है. यहां पेट्स इलाज के लिये आते हैं, उनमें अधिकांश को केवल टीका लगाने की जरुरत होती है. वह भी पशुधन सहायकों का काम होता है.

    गांवों के अस्पताल पड़े हैं खाली

    जयपुर जिले के 14 पशु चिकित्सालयों में 70 पशु चिकित्सक हैं, जबकि गांवों में अस्पताल खाली पड़े हैं। गांवों में जाने से बचने के लिये पशु चिकित्सक केवल शहरों के अस्पतालों में ही नहीं विभाग के दफ्तरों में भी डेरा जमाये बैठे हैं. विभाग के निदेशालय में ही करीब 50 चिकित्सक विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं. संभाग और जिला स्तर के कार्यालयों में भी 200 से ज्यादा पशु चिकित्सक जमे बैठे हैं. कुछ पशु चिकित्सक दूसरे विभागों में भी प्रतिनियुक्ति पर हैं.

    Tags: Jaipur news, Rajasthan news