राज्यसभा में मंत्री को लम्बे भाषण के लिए अपने ही सहयोगी से सुननी पड़ी उलाहना
उच्च सदन में शुक्रवार को भोजनावकाश के बाद शाम पांच बजे तक गैर सरकारी कामकाज हुआ. इसके बाद सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थ ...अधिक पढ़ें
- भाषा
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राज्यसभा में सदस्यों को निर्धारित समय से अधिक बोलने के लिए सभापति की ओर से नसीहत मिलना तो प्राय: देखने को मिलता है किंतु शुक्रवार को एक मंत्री को इसके लिए उनके एक वरिष्ठ मंत्री और सभापति द्वारा टोका गया.
उच्च सदन में शुक्रवार को भोजनावकाश के बाद शाम पांच बजे तक गैर सरकारी कामकाज हुआ. इसके बाद सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले दो विधेयकों पर चर्चा कर उन्हें पारित किया गया.
इन दो विधेयकों को काफी कम समय में पारित करना था. लेकिन दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (दूसरा संशोधन) विधेयक को चर्चा के लिए पेश करते हुए कार्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने विधेयक के बारे में बोलने में करीब 20 मिनट का समय निकाल दिया. समय की कमी को देखते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल और संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल ने चौधरी को अपनी बात को जल्द पूरा करने के लिए संकेत किया.
इसके बावजूद जब चौधरी बोलते रहे तो वित्त मंत्री गोयल ने उनके पास जाकर उन्हें अपनी बात जल्द पूरी करने के लिए कहा. इसके बावजूद जब वह बोलते रहे तो सभापति एम वेंकैया नायडू ने उन्हें समय की कमी का हवाला देते हुए अपनी बात समाप्त करने की नसीहत दी.
बाद में जब विधेयक पर चर्चा शुरू हुई तो कांग्रेस के जयराम रमेश ने चौधरी पर चुटकी लेते हुए कहा कि उन्होंने उन्हें (रमेश को) बोलने के लिए थोड़ा अवसर दिया.
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