पानी की कहानी: वाटर टैंकरों से लोगों की प्यास 'बुझाएगी' खट्टर सरकार
गर्मी आते ही नहरी पानी की आपूर्ती धीरे धीरे कम होने लगती है जिससे पानी की कमी वाले इलाके खासकर दक्षिण हरियाणा के महेन्द ...अधिक पढ़ें
- News18 Haryana
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गर्मी आते ही हरियाणा में पेयजल संकट गहरा रहा है, लेकिन पिछले अनुभवों से सीखते हुए प्रदेश सरकार ने पेयजल संकट से ऩिपटने के लिए कमर कस ली है. दरअसल प्रदेश में आमतौर पर लोगों की पेयजल की जरुरतों को पूरा करने के लिए 1300 क्युसिक पानी की जरुरत होती है. इसमें से 600 क्युसिक पानी सिंचाई विभाग नहरों से जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग को देता है. बाकी 700 क्युसिक पानी ट्यूबवेलों की मदद से लिया जाता है.
लेकिन गर्मी आते ही नहरी पानी की आपूर्ती धीरे धीरे कम होने लगती है जिससे पानी की कमी वाले इलाके खासकर दक्षिण हरियाणा के महेन्द्रगढ,मेवात और नांगल चौधरी जैसे ईलाकों में पानी की कमी से लोगों को जूझना पड़ता है. इसलिए विभाग ने अब पानी की राशनिंग शुरु कर उसे वाटर टैंकरों की मदद से लोगों तक पहुंचाने का फैसला किया है.
पेयजल संकट से निपटने के लिए जारी की हिदायतें
प्रदेश सरकार ने पेयजल संकट से निपटने के लिए टैंकरों से पानी की आपूर्ती की हिदायतें जारी कर दी हैं.. चीफ इंजीनियर और एसई समेत तमाम छोटे बड़े अधिकारिय़ों की फौज फील्ड में उतारकर पेयजल के बंदोबस्त करने के लिए कहा गया है. विभाग ने ग्रामीण ईलाकों में सरपंचों और शहरी ईलाकों में पार्षदों को वाटर टैंकर की डिमांड करने के लिए अधिकृत किया है. सभी जिलों में एक्सईएऩ को अपने ईलाकों में निगरानी की भी खास हिदायतें जारी की गई हैं.
16 हजार वाटर टैंकरों की पड़ेगी जरूरत
इस साल अब तक फिरोजपुर झिरका, कोसली, लोहारू, नूंह, रेवाड़ी और सोहना में करीब 300 वाटर टैंकरों की आपूर्ती की जा चुकी है और एक अनुमान के अनुसार पूरी गर्मी के मौसम में लगभग 16000 वाटर टैंकरों की जरुरत पड़ेगी.
दक्षिण हरियाणा के कई इलाकों में एक हफ्ते से नहीं आ रहा पानी
उधर प्रदेश सरकार के लाख प्रयासों को बावजूद प्रदेश में जल संकट शुरु हो गया है. दक्षिण हरियाणा के इलाकों में करीब करीब एक हफ्ते से पानी नहीं आ रहा है. और जिस पानी के आपूर्ती की जा रही है वो बेहद दूषीत है और पीने लायक है ही नहीं. लोगों ने प्रदेश सरकार से नियमित और स्वच्छ पानी की आपूर्ती की मांग की है.
दरअसल दक्षिण हरियाणा के ईलाको में भूजल काफी नीचे चला गया है. खासकर महेन्द्रगढ़, नारनौल और नांगल चौधरी जैसे इलाकों में तो भूजल पूरी तरह से खत्म हो गया है. इसीलिए यहां लोग पूरी तरह नहरी पानी पर निर्भर हैं लेकिन गर्मी में नहरी पानी न मिलने से यहां के लोगों के लिए पेयजल का संकट खड़ा हो जाता है.
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