VIDEO: देखिए! प्रदेश की इन ताकतवर महिलाओं के लिए रक्षाबंधन के मायने
हिमाचल प्रदेश भाषा कला एवं संस्कृति विभाग की सचिव पूर्णिमा चौहान आज भी रक्षाबंधन के दिन अपने भाई से तोहफे का इंतजार करत ...अधिक पढ़ें
- News18 Himachal Pradesh
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राखी के त्योहार में भाई बहनों की रक्षा का वचन देता है, लेकिन अगर बात की जाए 21वीं सदी की तो आज की महिलाएं खुद रक्षक बन हर मुसीबत का सामना कर रही हैं. ऐसे में प्रदेश की सशक्त महिलाएं इस त्योहार के बारे में क्या सोचतीं है और इस त्योहार को कैसे मनातीं है, उनकी जुबानी सुनिए. हिमाचल प्रदेश भाषा कला एवं संस्कृति विभाग की सचिव पूर्णिमा चौहान आज भी रक्षाबंधन के दिन अपने भाई से तोहफे का इंतजार करतीं है. उनका मानना है कि ये इस त्योहार की परंपरा है कि भाई अपनी बहनों के लिए तोहफे लेकर आते हैं.
राज्य महिल आयोग की अध्यक्ष डॉ. डेजी ठाकुर का कहना है कि परंपरा के अनुसार बहनों को भाइयों से उम्मीद होती थी कि भाई उनकी रक्षा करें, लेकिन समय के साथ ही ये परिभाषा भी बदल चुकी है.
शिमला की मेयर कुसुम सदरेट के लिए इस त्योहार के मायने कुछ और ही हैं. कुसुम सदरेट का कहना है कि रक्षाबंधन का मतलब वो सूत्र है जहां सभी लोग एक दूसरे की रक्षा करते हैं और समय पड़ने पर एक दूसरे के काम आते हैं. वहीं पंजाब की कांग्रस प्रभारी और डल्हौजी से एमएलए आशा कुमारी ने बताया कि वो इस बार रक्षाबंधन के लिए घर नहीं जा पाएंगी क्योंकि इस समय विधानसभा सत्र चल रहा है. वह शिमला में ही इस पर्व को मनाएंगी.
भोरंज से एमएलए कमलेश कुमारी और इंदौरा से एमएलए रीता धीमान ने भी कहा कि हिन्दू मान्यता के अनुसार रक्षाबंधन को रक्षासूत्र बांध कर भाई वचन देता है कि वो अपनी बहन की रक्षा करेगा.
हिमाचल प्रदेश बाल कल्याण परिषद की सदस्य शीतल व्यास का कहना है कि हिंदू परंपरा के अनुसार भाई बहनों की रक्षा करने कर वचन तो देता है लेकिन कई बार परिस्थितियां ऐसी हो जाती है जहां भाई मदद नहीं कर सकता है. गुड़िया रेप और हत्या मामला भी इसका एक उदाहराण है. गुडिया की लाश जब जंगल में मिली थी तब उसके भाई को जरूर ये महसूस हुआ होगा की वो अपनी बहन की रक्षा नहीं कर सका था.
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