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NRC ड्राफ्ट में कई पूर्व सैन्य अफसरों का नाम ग़ायब, पूछा- देश सेवा का यही फल मिलेगा?

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NRC ड्राफ्ट में कई पूर्व सैन्य अफसरों का नाम ग़ायब, पूछा- देश सेवा का यही फल मिलेगा?

कार्टून-NEWS18
कार्टून-NEWS18

असम में एनआरसी ड्राफ्ट के मुताबिक उन 40 लाख लोगों की भारतीय नागरिकता पर तलवार लटकी है जो ज़रूरी दस्तावेज नहीं दे पाए है ...अधिक पढ़ें

    (करिश्मा हसनात)

    असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) की ड्राफ्ट से जिन पूर्व सैन्य अधिकारियों को बाहर रखा गया है, वो बेहद नाराज है. इनका आरोप है कि ये ड्राफ्ट 'भ्रामक' और 'अपमानजनक' है. सैन्य अधिकारियों ने इस ड्राफ्ट का विरोध किया है.

    असम में एनआरसी ड्राफ्ट के मुताबिक, उन 40 लाख लोगों की भारतीय नागरिकता पर तलवार लटकी है जो ज़रूरी दस्तावेज नहीं दे पाए हैं. 31 जुलाई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि जिन लोगों का नाम इस लिस्ट में नहीं है, उन्हें फिर से निष्पक्ष तरीके से आवेदन करने का मौका मिलना चाहिए. इस मामले में अगली सुवाई 28 अगस्त को है.

    कामरूप जिले के कोलोहिकास गांव के एक रिटायर्ड सैन्य अधिकारी कैप्टन मोहम्मद सनाउल्लाह का नाम NRC की ड्राफ्ट में होल्ड पर रख दिया गया है. NRC के अधिकारियों के मुताबिक, उनके खिलाफ बोको फोरेनर्स ट्रिब्यूनल में एक केस पेंडिंग है. हालांकि सनाउल्लाह के मुताबिक NRC ने जिस केस नंबर का जिक्र किया है असल में वो उनके खिलाफ है ही नहीं, बल्कि वो केस किसी और के खिलाफ है.

    न्यूज़ 18 से बात करते हुए कैप्टन मोहम्मद सनाउल्लाह ने कहा कि वो उस शख्स के बारे में नहीं जानता जिसके नाम पर ये मामला दर्ज है. उन्होंने कहा "मुझे बताया गया कि बोको स्थित फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में मेरे खिलाफ एक पेंडिग केस है. मैंने बॉर्डर पुलिस अधीक्षक से जब इस केस के बारे में पता किया तो मालूम हुआ कि ये केस अगचिया गांव के मोहम्मद समसुल हक़ के नाम है.''

    51 साल के रिटायर्ड सैनिक ने 30 साल तक देश की सेवा की. जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के तंगधर क्षेत्र में 2015 से 2017 तक उन्होंने तीन इनसरजेंसी ऑपरेशन में भाग लिया था. इसके अलावा उन्होंने 2007 से 2010 के बीच मणिपुर के इम्फाल में भी इनसरजेंसी ऑपरेशन को अंजाम दिया.

    सनाउल्लाह का कहना, ''ये एक तरह से उत्पीड़न है. मेरे परिवार में किसी का भी नाम NRC की लिस्ट में नहीं है. लिस्ट के साथ छेड़छाड़ की गई है. इतने सालों से राष्ट्र की सेवा करने के बाद क्या मुझे यही मिला है?"

    आर्मी के एक और रिटायर्ड जेसीओ अजमल हक़, जिन्होंने तीन दशकों तक देश की सेवा की उनका नाम भी NRC की लिस्ट में होल्ड पर रख दिया गया है. 58 साल के अज़मल हक़ का भी कहना है कि ये ड्राफ्ट 'भ्रामक' और 'अपमानजनक' है. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि वो अपनी नागरिकता साबित कर देंगे.

    हक़ ने कहा, ''मुझे बताया गया है कि बोको में फोरेनर्स ट्रिब्यूनल में मेरे खिलाफ एक केस पेंडिग है, लेकिन रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है. यहां के स्टाफ ने भी केस नंबर देखा लेकिन उसे भी कुछ नहीं मिला. ये हैरानी की बात है. मुझे फोरेनर्स ट्रिब्यूनल ने साल 2017 में भारतीय नागरिक घोषित किया था क्योंकि मुझे गलत तरीके से डी (डीफॉल्ट)-वोटर में डाल दिया गया था.''

    हक़ के दो बच्चों को भी लिस्ट से बाहर कर दिया गया है. जबकि उनके बेटे देहरादून में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआईएमसी) में पढ़ते हैं, उनकी बेटी गुवाहाटी में आर्मी स्कूल की छात्रा हैं.

    हक़ ने अनिवार्य दस्तावेजों में 1966 के अपने पिता की लिगेसी डेटा और 1951 की अपनी मां की लिगेसी डेटा जमा किया. हक के छोटे भाई और उसका परिवार भी इस लिस्ट में शामिल नहीं हो सका. जबकि उनके बड़े भाई और परिवार ने प्रमाण के तौर पर लिगेसी डेटा जमा किया था.

    पूर्व भारतीय वायुसेना के सर्जेंट सादुल्ला अहमद का नाम भी इस लिस्ट में होल्ड पर रख दिया गया है. अहमद के परिवार के तीन सदस्य भारतीय सेना में काम करते हैं. सादुल्ला अहमद ने कहा, "हमरा 40 लोगों का एक बड़ा परिवार हैं. मैं तीन भाइयों और पांच बहनों में सबसे छोटा हूं. मेरे परिवार के पच्चीस सदस्यों का नाम ड्राफ्ट में नहीं है.''

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    Tags: NRC Assam