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प्रतिदिन प्रति परिवार एक रुपया, स्कूल के विकास की अनूठी कहानी

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प्रतिदिन प्रति परिवार एक रुपया, स्कूल के विकास की अनूठी कहानी

घरों में रखे गए गुल्लक दिखाती महिलाएं। फोटो: न्यूज 18 राजस्थान
घरों में रखे गए गुल्लक दिखाती महिलाएं। फोटो: न्यूज 18 राजस्थान

एक छोटी से पहल कई बार कितनी कारगर साबित होती है यह देखना हो तो चित्तौड़गढ़ के बड़ी सादड़ी क्षेत्र में स्थित देवदा के स्कू ...अधिक पढ़ें

    एक छोटी से पहल कई बार कितनी कारगर साबित होती है यह देखना हो तो चित्तौड़गढ़ के बड़ी सादड़ी क्षेत्र में स्थित देवदा के स्कूल चले आइए. यहां स्कूल प्रशासन की पहल पर आपको गांव में कुछ ऐसा देखने को मिलेगा कि आप खुद अचंभित रह जाएंगे. गांव के लोगों व बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ भावनात्मक रूप से स्कूल से जोड़ने के लिए स्कूल प्रबंधन ने जो पहल की है वह वास्तव में सरहानीय है. प्रतिदिन गांव का प्रति परिवार स्कूल के विकास के लिए एक रुपया दान करेगा. इसके लिए बाकायदा गांव के हर घर पर एक गुल्लक रखा गया है.

    जनवरी 2018 में हुई शुरुआत 

    बड़ी सादड़ी से पांच किलोमीटर दूर स्थित देवदा राउप्रावि में तीन महिने पहले स्कूल विकास समिति की बैठक हुई. इसमें स्टाफ ने गांव के प्रत्येक परिवार से प्रतिदिन दिन एक रुपया स्कूल के लिए दान करने का प्रस्ताव रखा. ग्रामीणों ने इसे मान लिया. इसके आधार पर तय हुआ कि हर घर में गुल्लक के रूप का स्टीकर लगा डिब्बा रखा जाएगा. गांव में करीब 125 घर हैं और स्कूल में 170 बच्चे नामांकित हैं. अब तक 100 घरों में डिब्बे रखे जा चुके हैं. इनमें ग्रामीण रोज एक रुपया डालते हैं. महिना खत्म होते ही राशि समिति के बैंक खाते में जमा करा दी जाती है. यह राशि विद्यालय के विकास में काम ली जाती है. इससे स्कूल में कई प्रकार की सुविधाओं के साथ ही हरियाली के लिये पेड़ लगाये गये हैं. इनता ही नहीं रंगरोगन के साथ बच्चों को लुभाने लिये कार्टून के चित्रों भी दीवारों पर बनाए गए हैं. जनवरी 2018 में शुरू हुई इस पहल से स्कूल में अब तक 9,180 रुपए आ चुके हैं.

    विद्यालय और ग्रामीणों में परिवार जैसा रिश्ता

    ऐसा करने के पीछे विद्यालय परिवार की मंशा है कि गांव का प्रत्येक परिवार विद्यालय को अपना मानकर उससे भावात्मक रूप से भी जुड़ जाए. इससे हर व्यक्ति अपने बच्चों को नियमित रूप से पढ़ने भी भेजेंगे. स्टाफ द्वारा माह खत्म होते ही प्रत्येक घर से राशि एकत्रित कर उसके स्कूल के बैंक एकाउंट में जमा करा दिया जाता है. इन सब के चलते विद्यालय का नामांकन भी धीरे-धीरे बढ़ने लगा है. वहीं वि़द्यालय और ग्रामीणों में परिवार जैसा रिश्ता बना हुआ है.

    (रिपोर्ट: पीयूष मूंदड़ा)

    Tags: Chittorgarh news, Rajasthan news