अब आपके चेहरे को पहचाने बिना काम नहीं करेगा आधार
यह नया ऑथेंटिकेशन प्रॉसेस चरणबद्ध तरीके से लागू होगा और शुरुआत में सिम कार्ड के लिए इसे लागू किया जाएगा.
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यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने एक नए कदम की घोषणा की है. इसके तहत जिन सर्विसेज में सत्यापन के लिए आधार की जरूरत पड़ती है, उनमें स्पॉट लाइव फोटो (मौके पर फोटो लेना) लेकर फेशियल रिकॉगनिशन (चेहरे से पहचान) को जरूरी करने की बात है. जिन सर्विसेज में आमतौर पर आधार ऑथेन्टिकेशन का इस्तेमाल किया जाता है, उनमें मोबाइल सिम (नई सिम लेना या पुरानी सिम को बदलना), बैंक, पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (सार्वजनिक वितरण प्रणाली या पीडीएस) और सरकारी ऑफिसों में ऑफिस अटेंडेंस शामिल हैं. नियमित सत्यापन के साथ फेशियल रेकग्निशन एक अतिरिक्त फीचर के रूप में होगा. नियमित सत्यापन में फिंगरप्रिंट और आइरिस (आंखों) के स्कैन का इस्तेमाल किया जाता है.
UIDAI के अनुसार यह फीचर आधार को सुरक्षा की एक अतिरिक्त लेयर प्रदान करता है. UIDAI के सीईओ अजय भूषण पांडे ने बताया कि कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जब कुछ बुजुर्गों के उम्र की वजह से या फिर खेती या ज्यादा काम करने के कारण उनके फिंगरप्रिंट मिट गए हैं और उन्हें आधार ऑथेंटिकेशन से बाहर कर दिया गया. ऐसे में फेशियल रिकॉगनिशन मददगार साबित होगा.''
फेस रिकॉगनिशन न करने पर लगेगा जुर्माना
उन्होंने आगे कहा कि यह नया ऑथेंटिकेशन प्रॉसेस चरणबद्ध तरीके से लागू होगा और शुरुआत में सिम कार्ड के लिए इसे लागू किया जाएगा. UIDAI ने दूर टेलिकॉम कंपनियों से कहा है कि 15 सितंबर से महीने में कम से कम 10 प्रतिशत सत्यापन चेहरे का लाइव (सीधे) फोटे से मिलान करके करना अनिवार्य होगा. अगर इस तरीके का सत्यापन 10 प्रतिशत से कम होता है तो प्रति सत्यापन 20 पैसे का जुर्माना लगाया जाएगा.
मिलेगी ज्यादा सुरक्षा
भूषण ने कहा, ‘फेस ऑथेंटिकेशन लेटेस्ट टेक्नोलॉजी है और यह ज्यादा सुरक्षा देती है. 10 प्रतिशत के सत्यापन के बाद हम इसे रिव्यू करेंगे और यह जानने की कोशिश करेंगे कि इसमें कोई परेशानी तो नहीं इसके बाद टेलिकॉम कंपनियों के अलावा अन्य लोगों को भी फेस ऑथेंटिकेशन करवाने का निर्देश दिया जाएगा.
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