haryana
  • text

PRESENTS

sponser-logo

पैर की हड्डी ठीक कराने के लिए बेच दिया सबकुछ, अब खाना खाने तक के नहीं बचे पैसे

FOLLOW US
TEXT SIZE
SmallMediumLarge
SHARE
होम / न्यूज / हरियाणा / पैर की हड्डी ठीक कराने के लिए बेच दिया सबकुछ, अब खाना खाने तक के नहीं बचे पैसे

पैर की हड्डी ठीक कराने के लिए बेच दिया सबकुछ, अब खाना खाने तक के नहीं बचे पैसे

शिकायत लेकर पहुंची पीड़ित की पत्नी
शिकायत लेकर पहुंची पीड़ित की पत्नी

राजबीर और उसकी पत्नी नीलम का आरोप है कि फिम्स अस्पताल ने 2016 से लेकर अब तक करीबन 30 लाख वसूले है.

    हरियाणा में प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी कम नहीं हो रही जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. भले ही स्वास्थ्य विभाग सामान्य अस्पतालों में सुविधाएं होने का दावा करता हो लेकिन सच्चाई इनसे बहुत परे है. सरकारी अस्पतालों में पूरी सुविधाए न होने के कारण आम लोग प्राइवेट अस्पतालो में जाने को मजबूर है और जिसका फायदा निजी हस्पताल उठा रहे है. इसका असर गरीब आदमी की जेब पर पड़ रहा है. प्राइवेट अस्पताल अपने मनमर्ज़ी के बिल वसूल रहे है और स्वास्थ्य विभाग कार्यवाही करने की वजह आंखे मूंदे बैठा है .

    पैर की हड्डी ठीक करने के नाम पर लिए 30 लाख रुपए, बाद में कही पैर काटने की बात

    ऐसा ही मनमानी फ़ीस वसूलने का मामला सोनीपत फिम्स अस्पताल का आया है. राजबीर और उसकी पत्नी नीलम का आरोप है कि फिम्स अस्पताल ने 2016 से लेकर अब तक करीबन 30 लाख वसूले है. सोनीपत के सामान्य अस्पताल में अपनी शिकायत देने आई नीलम ने आरोप लगाया की हमने 18 जुलाई को सिविल हस्पताल में फिम्स अस्पताल के बाबत शिकायत दी थी लेकिन अभी तक कुछ भी कार्यवाही नहीं हुई.

    पीड़ित की पत्नी का कहना है कि वो पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं. मुझे फिम्स अस्पताल में नौकरी करने को मजबूर किया गया और मैंने 9 महीने नौकरी भी की लेकिन सभी पैसे इलाज के नाम पर अस्पताल प्रसाशन ने ही रख लिए. अब हमारे घर पर एक टाइम का खाना बनता है और मेरा बेटा स्कूल भी नहीं जा सकता क्योंकि दाखिले के लिए हमारे पास पैसे नहीं है. अब हम किराये के घर में रहने को मजबूर है.

    वहीं पीड़ित राजबीर ने बताया कि 14 जून 2016 को सिवाह पानीपत में उसकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया था और मुझे शुरू में पानीपत के सामान्य अस्पताल में दाखिल करवाया गया. लेकिन पूरी सुविधा न होने के कारण  दिल्ली रेफर करने की बात कही. परिवार वाले उसे पानीपत के गुप्ता अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने उसे पैर काटने की बात कही.

    उसके बाद वो सोनीपत के फिम्स अस्पताल में आ गए और यहां डॉक्टरों ने 6 महीने में पैर ठीक होने की बात कही और इलाज करते रहे. इलाज के दौरान उसके 30 लाख रुपये लग गए और जब मेरा सब कुछ बिक गया. अस्पताल वाले अब राजबीर का पैर काटने की बात कह रहे हैं. राजबीर ने बताया की मेरे इलाज के दौरान में सब कुछ बिक गया अब में बिलकुल बर्बाद हो चुका हूं.

    वहीं राजबीर के भाई विनोद ने बताया कि उनके पास 22 लाख 92 हजार के बिल अब भी पड़े हैं. जिसमें 4  लाख रुपये के करीब की दवाइयों हैं. अगर हमारे पास पूरे बिल होते तो पूरा खर्चा करीबन 30 लाख रुपये बैठता. अस्पताल वालों ने राजबीर का सबकुछ बिकवा दिया और हमसे झूठ बोल कर इलाज करते रहे. अब जब हमारा सब कुछ खत्म हो गया है तो ये लोग पैर काटने  की बात कह रहे है.

    वहीं फिम्स अस्पताल के जरनल मैनेजर रजत जैन ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि हमने सिर्फ राजबीर के परिवार से 10 लाख 50 हज़ार रुपये लिए हैं  जिनमें 2 लाख 75 हजार रुपये दवाईयों का बिला. जैन का कहना है कि हमने राजबीर को पहले ही बता दिया था की आप के पास दो रास्ते है. या तो  पैर कटवाने पड़ेगा और बचाने के लिए बहुत खर्चा लगेगा  और इसकी कोई गारंटी नहीं है.

    Tags: Sonipat news