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रुपये सबसे निचले स्तर पर, जानें आप पर होगा क्या असर

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रुपये सबसे निचले स्तर पर, जानें आप पर होगा क्या असर

अमेरिकी डॉलर के सामने रुपया हुआ कमजोर.
अमेरिकी डॉलर के सामने रुपया हुआ कमजोर.

इस कारोबारी हफ्ते की शुरुआत रुपए में गिरावट के साथ हुई है. रुपये ने अब तक का सबसे निचला स्तर छू लिया है.

    इस कारोबारी हफ्ते की शुरुआत रुपये में गिरावट के साथ हुई है. रुपये ने अब तक का सबसे निचला स्तर छू लिया है. डॉलर के मुकाबले रुपये रिकॉर्ड गिरावट के साथ शुरुआत की है. डॉलर के मुकाबले रुपया 63 पैसे की जोरदार गिरावट के साथ 69.47 के स्तर पर खुला है. इससे पहले डॉलर के मुकाबले रुपया 69.12 तक टूटा था. वहीं, पिछले हफ्ते शुक्रवार के कारोबारी सत्र में रुपया 68.84 के स्तर पर बंद हुआ था.

    शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 68.83 के स्तर पर बंद हुआ था. बता दें कि विशेषज्ञ पहले ही संभावना जता चुके हैं कि रुपया 70 के स्तर पर पर पहुंच सकता है. इससे पहले 19 जुलाई को रुपये में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई थी. इस दौरान रुपये ने पहली बार 69 का आंकड़ा छुआ था.

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    इस वजह से कमजोर हो रहा है रुपया
    डॉलर की डिमांड बढ़ने और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने रुपये को कमजोर किया था. 69 का स्तर छूने से एक दिन पहले रुपये ने 19 पैसे की गिरावट के साथ कारोबार की शुरुआत की थी. 18 जुलाई को यह 68.43 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर खुला था.

    एक्सपर्ट्स का मानना है कि रुपये में दबाव बना रहेगा. उनके मुताब‍िक डॉलर में लगातार आ रही मजबूती, कच्चे तेल की कीमतों में जारी उथल-पुथल और विदेशी निवेश प्रवाह में कमी रुपये में गिरावट के लिए जिम्मेदार है.

    वहीं बैंकरों ने आशंका जताई थी कि अगर रुपया 70 के स्तर पर पहुंच जाता है, तो आरबीआई के लिए इस स्थ‍िति से निपटना काफी मुश्क‍िल हो सकता है. बैंकरों ने कहा कि भारतीय र‍िजर्व बैंक रुपये को 70 के स्तर पर पहुंचने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेगा.

    आम आदमी पर क्या होगा असर
    > भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट आयात करता है.
    > रुपये में गिरावट से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का आयात महंगा हो जाएगा.
    > तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की घरेलू कीमतों में बढ़ोतरी कर सकती हैं.
    > डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई बढ़ जाएगी, जिसके चलते महंगाई में तेजी आ सकती है.
    > इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है.
    > रुपये के कमजोर होने से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं.

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