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'न्यूड अभियान से लेकर दूध फेंकने तक' विरोध प्रदर्शन के अजीब तरीके

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'न्यूड अभियान से लेकर दूध फेंकने तक' विरोध प्रदर्शन के अजीब तरीके

किसानों ने दूध और प्याज सड़क पर डालकर विरोध प्रदर्शन किया
किसानों ने दूध और प्याज सड़क पर डालकर विरोध प्रदर्शन किया

ट्विटर पर एक दूसरे की बातों का बात बात पर विरोध करने वालों के लिए यह जानना दिलचस्प हो सकता है कि किस तरह आभासीय दुनिया ...अधिक पढ़ें

    यह विरोध प्रदर्शन का दौर है. विरोध जो पहले सड़कों पर किए जाते थे, अब सोशल मीडिया पर होते हैं. दुनिया भर में सरकार, प्रशासन या किसी व्यक्ति के बर्ताव के खिलाफ विरोध करने के लिए लोगों का एकजुट होना कोई नई बात नहीं है. कुछ नया है तो वो है विरोध दर्ज करने का तरीका. मुन्नाभाई एमबीबीएस तो याद ही होगी आपको. 'गेट वेल सून मामू' ने किस तरह फिल्म से निकलकर अाम जिंदगी में जगह बनाई और इस गांधीवादी विरोध करने के तरीके को उन लोगों पर आज़माया गया जो अपनी उल्टी पुल्टे बयानों या हरकतों से विवादों में आए.

    हालांकि कई बार विरोध के विषय को सही-गलत की श्रेणी में बैठाना मुश्किल हो जाता है. मसलन इन दिनों फिल्म 'वीरे दी वेडिंग' में स्वरा भास्कर के किरदार का फिल्म में मैस्टुर्बेशन करना विरोध की वजह बना हुआ है. ट्विटर पर स्वरा को लेकर कई यूज़र्स एक ही ट्वीट करते पाए गए - 'हम अपनी दादी के साथ फिल्म देखने गए और मैस्टुर्बेशन का सीन आते ही हमें बहुत शर्मिंदगी का एहसास हुआ.' जहां कई दर्शक स्वरा का इस सीन को लेकर समर्थन करते आए, वहीं कईयों ने अपनी दादी को बीच में लाकर विरोध दर्ज किया. वैसे भारत समेत दुनिया भर में विरोध प्रदर्शन के कुछ तरीके बहुत ही अजीब रहे हैं.

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    इराक़ में एक पत्रकार ने बुश पर जूता फेंककर मारा था


    जूता फेंकना

    इराक़ के पत्रकार मुन्तदर अल ज़ैदी ने दिसंबर 2008 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश पर जूता फेंककर मारा था. बुश, बग़दाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. इसे अमेरिका की अगुवाई में इराक़ पर हुए हमले पर प्रतिक्रिया के तौर पर देखा गया. कुछ दिनों में अल ज़ैदी इराक़ के सेलिब्रेटी बन गए. इसके बाद तो जैसे जूता फेंकना हर राजनेता पर नाराज़गी जताने का एक तरीका सा बन गया. क्या भारत, क्या अमेरिका. ऐसा समझा जाता है कि स्याही फेंकना भी कहीं न कहीं जूता फेंकने से ही प्रेरित हुआ तरीका है.

    दूध की नदियां

    2009 की बात है, यूरोप के डेरी किसान, दूध की कीमतों में गिरावट से परेशान थे. किसानों ने बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में विरोध दर्ज करते हुए सड़कों पर दूध फेंकना शुरू कर दिया. दूध की नदियां बहने का मुहावरा जैसे इस विरोध के जरिए चरितार्थ हो गया. यही नहीं, किसानों के पास दूध इतनी मात्रा में रखा हुआ था कि उन्होंने यूरोपीय संसद पर भी इसे फेंका. वैसे 2018 में भारत के अलग अलग राज्यों से खबर आती रही है कि कम कीमतों से परेशान किसानों ने कहीं दूध तो कहीं प्याज़ सड़कों पर बिछा दिए हैं. जयपुर में प्याज़ के भंडार से परेशान किसानों ने ट्रॉली भर प्याज़ को सड़क पर फेंक दिया.

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    पिंक चड्डी अभियान के तहत श्री राम सेने को 2000 पिंक चड्डियां भेज गई


    झंडा धोना

    2000 में एलबर्टो फुजीमोरी को पेरू के राष्ट्रपति के तौर पर फिर से चुना गया. फुजीमोरी की छवि सत्ता और हिंसा के बेजा इस्तेमाल करने वाले के तौर पर बनी हुई थी. कुछ महिलाओं ने इसके विरोध में एक सार्वजनिक जगह पर हर दिन पेरू के झंडे को साफ करने की ठानी. ऐसा करके वह सांकेतिक तौर पर दिखाना चाहती थी कि पेरू की राजनीति गंदी हो रही है जिसे साफ करना जरूरी है.

    पिंक चड्डी अभियान

    जून 2009 में मैंगलोर के एक पब पर श्री राम सेना हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने हमला किया. उनका मानना था कि महिलाएं पब में आकर संस्कृति को नुकसान पहुंचा रही हैं. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कुछ महिलाओं ने श्री राम सेना के प्रमुख प्रमोद मुतालिक के दफ्तर 2000 गुलाबी चड्डियां भेजी. पिंक चड्डी नाम का यह अभियान काफी चर्चा में रहा और बाद में मुतालिक को शर्मिंदा होकर अपने संगठन का बयान वापिस लेना पड़ा.

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    जुलाई 2004 में मणिपुर की 12 महिलाओं ने भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया


    न्यूड अभियान

    साल 2004 में मणिपुर की कुछ महिलाओं ने न्यूड होकर भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ प्रदर्शन किया था. जुलाई 2004 में कथित रूप से अर्धसैनिक बलों के 32 साल की महिला के साथ गैंगरेप करने के मामले पर इन महिलाओं ने विरोध किया. यह 12 महिलाएं थीं जिन्होंने महिला के साथ गैंगरेप करने को लेकर ही नहीं, पूरे मणिपुर राज्य से अफ्सपा हटाने और सेना द्वारा कथित तौर पर होने वाली प्रताड़ना के खिलाफ आवाज़ उठाई. इस न्यूड अभियान की वजह से मणिपुर और वहां की समस्याओं ने मुख्यधारा मीडिया में जगह बनाई.

    वैसे न्यूड अभियान करने वाली यूक्रेन की एक संस्था है फीमेन जो अब पैरिस में स्थित है. यह संस्था महिलाओं से जुड़े राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर टॉपलेस होकर विरोध करने के लिए जानी जाती हैं. इसकी वजह से संस्था की कई सदस्यों को जेल भी जाना पड़ा है लेकिन फीमेन का दावा है कि धर्म, तानाशाही और महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ वह हमेशा आवाज़ उठाएंगी.

    Tags: Swara Bhaskar, Veere Di Wedding