पढ़ाई छोड़ वापस लौट रहे थे घर, फैकल्टीज ने किया मोटिवेट, फिर कोटा के राहुल ने जेईई-मेन में बिखेरा जलवा
जेईई-मेन के परिणामों में एलन के छात्र राहुल ने 99 पर्सेन्टाइल स्कोर के साथ आल इंडिया रैंक 17873 तथा ओबीसी कैटेगिरी रैंक ...अधिक पढ़ें
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शक्ति सिंह/कोटा:- कोटा शिक्षा के साथ संघर्ष का हौसला भी देता है. हालात से लड़ना सीखाता है और आगे बढ़ना सीखाता है. जेईई-मेन के परिणामों में इसका एक उदाहरण सामने आया है. ओडिशा के अंगुल जिले के निर्धन बीपीएल परिवार के प्रतिभावान राहुल कुमार साहू ने ये कारनामा किया है. जेईई-मेन के परिणामों में एलन के छात्र राहुल ने 99 पर्सेन्टाइल स्कोर के साथ आल इंडिया रैंक 17873 तथा ओबीसी कैटेगिरी रैंक 4459 प्राप्त की है. अब वो जेईई-एडवांस की तैयारी कर रहे हैं. कोटा से हजारों किलोमीटर दूर ओडिशा के अंगुल जिले के परिवार ने एक सपना देखा और उसे सच करने के लिए प्रयास शुरू किया. कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद इंजीनियर बनने के लिए राहुल कोटा आए.
कोटा से वापस लौटने का लिया था फैसला
कोटा के एक कोचिंग में राहुल ने एडमिशन लिया और सफर आगे बढ़ाया. मेहनत में कसर नहीं छोड़ी, लेकिन जब टेस्ट के परिणाम अपेक्षानुरूप नहीं आए, तो राहुल परेशान हो गए. जैसे-तैसे एक साल पूरा हुआ, राहुल को लगा कि वो लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएंगे और पापा की कमाई भी बर्बाद हो जाएगी. उसने पापा से बात की और वापस लौटने का फैसला ले लिया. परीक्षा में शामिल हुए बिना ही वापस जाने के इस फैसले के सम्बंध में जब संस्थान में काउंसलर्स को बताया, तो उन्होंने राहुल को समझाया, मोटिवेट किया और संघर्ष से सफलता तक के कई उदाहरणों के माध्यम से प्रेरित किया.
राहुल और उसके पिता को लगा कि परीक्षा में शामिल तो होना चाहिए, फिर फैकल्टीज के सहयोग और नई प्रेरणा के साथ राहुल फिर से मेहनत करने में जुट गए. संघर्ष से इस सफलता का परिणाम भी सकारात्मक रहा. राहुल ने जेईई-मेन में 99 पर्सेन्टाइल स्कोर किया और अब एडवांस की तैयारी में जुट गए हैं.
पता नहीं था जेईई क्या होती है ?
राहुल ने लोकल 18 को बताया कि मेरी मैथ शुरु से अच्छी है और इंजीनियर बनना चाहता था. लेकिन पता नहीं था कि इसके लिए क्या करना होता है. फिर इंटरनेट से जानकारी जुटाई, तो पता चला कि इसके लिए जेईई परीक्षा देनी होती है. राहुल ने कहा कि हमारे परिवार में पहले कोई भी इंजीनियर नहीं बना. पिता सिर्फ 10वीं व मां 12वीं तक पढ़ी हैं. मेरे पिता सरोज कुमार साहू की अंगुल में ही छोटी सी दुकान है, इसी पर परिवार निर्भर है. मां ज्योत्सना मयी साहू गृहिणी हैं और मेरा परिवार बीपीएल श्रेणी में है. जब मेरे कोटा जाने के निर्णय के बारे में पता चला, तो रिश्तेदारों ने खुद आगे आकर मदद करने की पहल की. पहले फीस का इंतजाम किया और इसके बाद हर महीने किराए के एवं खाने के पैसे भी रिश्तेदार पैसे जोड़कर मुझे भेज देते हैं.
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एलन के फैकल्टीज ने किया मोटिवेट
राहुल ने Local18 को आगे बताया कि वर्ष 2023-24 में अक्टूबर माह में आमदनी घट गई, तो आर्थिक स्थिति कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई थी. टेस्ट में मेरी परफोरमेंस भी डाउन हो गई थी. पापा ने मुझे पढ़ाने में असमर्थता जता दी और मेरे पास भी कोई रास्ता नहीं था. इसलिए कोटा से जाने का निर्णय लेना पड़ा और कमरा खाली कर दिया था. यह बात एलन में फैकल्टीज को पता चली, तो उन्होनें मुझे बुलाया और कहा कि ‘कोटा निराश करके नहीं भेजता, यदि तुमने मेहनत की है, तो सपना जरूर साकार होगा’. इसके बाद मुझे संस्थान ने फीस में रियायत दी, जिससे मुझे सहारा मिला और कोटा में रह सका. फिलहाल जेईई एडवांस की तैयारी में जुटा हुआ हूं और आगे आईआईटी जाने का सपना सच करना है.
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