महिलाओं के साथ क्या होता है, जब पीरियड्स बंद हो जाते हैं?

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महिलाओं के साथ क्या होता है, जब पीरियड्स बंद हो जाते हैं?

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतीकात्मक तस्वीर

मैनोपॉज़ के पड़ाव से हर औरत गुजरती है.

    एक उम्र के बाद पीरियड्स बंद होने की स्थिति को मैनोपॉज़ (Menopause) कहते हैं. मैनोपॉज़ को हिंदी में रजोनवृत्ति कहा जाता है. 40-45 साल की उम्र के बाद लगातार 1 साल तक पीरियड होना बंद होने की स्थिति को पूर्ण मैनोपॉज़ कहा जाता है. मैनोपॉज़ के पड़ाव से हर औरत गुजरती है. ये प्रजनन शक्‍ति लगभग खत्म होने पर होता है.

    मैनोपॉज़ के बाद औरत प्राकृतिक रूप से प्रेगनेंट नहीं हो सकती. क्योंकि इसमें ओवरी से जनन शक्ति खत्म और हार्मोंस कम हो जाते हैं. इस दौरान ओवरी में एस्ट्रोजेन नाम का हार्मोन बनना बंद हो जाता है. जिस वजह से औरतों में शारिरिक और मानसिक बदलाव आते हैं.

    (कुछ मामले ऐसे भी सामने आए जिसमें मैनोपॉज़ पड़ाव पर भी महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया है.)

    ओवरी क्या है?
    महिलाओं में दो ओवरी होती हैं, जो अंडे (ova/egg) हार्मोन एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन करते हैं. ये प्रजनन प्रणाली का हिस्सा हैं और गर्भाशय के दोनों ओर निचली तरफ होती हैं.



    महिला के प्रजनन चक्र को चार भागों में बांटा गया है
    1 प्री मैनोपॉज़ - इस दौरान महिला में गर्भ धारण क्षमता होती है. प्री मैनोपॉज़ पहले पीरियड चक्र से आखिरी चक्र की अवधि को कहते हैं.

    2 पेरी मैनोपॉज़- यह मैनोपॉज़ से पहले की अवस्था है. इसकी अवधि दो से दस साल तक की हो सकती है, जब पीरियड्स धीरे-धीरे बंद होते हैं. यह 35 से 50 साल के बीच आती है.

    3 मैनोपॉज़- मैनोपॉज़ अवस्था में हॉर्मोन्स का उत्पादन कम होता है. ओवरी से प्रजनन क्षमता लगभग खत्म होती है.

    4 पोस्ट मैनोपॉज़- यह मैनोपॉज़ के बाद की अवस्था है. जो जिंदगी भर के लिए होती है.

    मैनोपॉज़ के बाद शारीरिक परेशानियां-
    -पीरियड्स बंद होने से खून में असंतुलन के कारण बॉडी में हीट बढ़ता है.
    -इस दौरान औरतों को बहुत गर्मी लगती है.
    -दिल की धड़कन भी बढ़ जाती है.
    -बहुत पसीना आता है.
    -पसीना आने को साइंस की भाषा में 'मैनोपॉज़ हॉट-फ्लैशेस' कहते हैं. हॉट-फ्लैशेस में थोड़े-थोड़े अंतराल बाद, तेज गर्मी लगती है और तुरंत बाद तेज ठंड.
    -गर्मी लगने पर दिल की धड़कन भी बढ़ती है. चेहरा, छाती और गर्दन का हिस्सा लाल हो जाता है. यह स्थिति 30 सेकंड से 5 मिनट तक भी होती है.
    -इस दौरान जेनेटल बदलाव भी होते हैं, जिसमें जननांग में सिकुड़न और सेक्स न करने की इच्छा भी शामिल है.
    -यूरीनरी ट्रैक्ट चेंज की वजह से कभी बहुत ज्यादा पेशाब आता है और कभी कम.
    -हार्मोन्स में बदलाव से हड्डियां कमजोर हो जाती है. इसमें जोड़ों, पीठ और मांसपेशियों में दर्द होता है.
    -त्वचा में रूखापन भी आया है. इसी वजह से स्तन भी सिकुड़ते हैं.
    -सिर दर्द. चक्कर आना.
    -पाचन शक्ति कमजोर होना.

    मैनोपॉज़ के बाद मानसिक परेशानियां-
    ओवरी में एस्ट्रोजेन हार्मोन का बंद होना मस्तिष्क को प्रभावित करता है. क्योंकि एस्ट्रोजेन मस्तिष्क के उस भाग पर असर डालता है, जिसका काम शरीर के तापमान को नियंत्रित करना है. इस भाग को हाइपोथलेमस कहके हैं. हाइपोथलेमस के ब्लड वेसल्स फैलने पर शरीर का तापमान बढ़ता है. जिसे नॉर्मल करने के लिए शरीर से पसीना निकलता है.

    -चिड़चिड़ापन होता है.
    -उदासी होती है.
    -कुछ भी न करने की इच्छा, याद न रहना, खोए रहना जैसी परेशानी होती हैं.
    -अचानक मायूस हो जाना. रो पड़ना.
    -घर में फैले सामान को देखकर परेशान होना. इतने सालों से जो काम आसानी किया, वही पहाड़ सा लगना.
    -इस दौरान महिलाएं मानसिक तनाव से गुजरती हैं.

    मैनोपॉज़ के दौरान क्या सावधानियां बरतें-
    -तेज मिर्च वाला खाना, कॉफी, शराब या कोई भी गरम तासीर की चीज न खाएं.
    -धूम्रपान से बचें.
    -ज्यादा लिक्विड लें.
    -पौष्टिक खाएं. कैल्शियम युक्त पदार्थ लें. दूध और दूध से बनी चीजें खाएं. इससे शरीर में दर्द कम होगा और उसे सहने की क्षमता भी मिलेगी.
    -नियमित व्यायाम करें.
    -ग्रीन टी लें, इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होगा.
    -अच्छी नींद ले. नींद हर बीमारी में दवा जैसी है.
    -तनाव न लें. क्योंकि तनाव से शरीर में कोर्सिटोल हार्मोन बनता है. जो वजन संतुलित रखने में रुकावट पैदा करता है.
    -खूब पानी पियें. ये शरीर के तापमान को सामान्य रखेगा.
    -शरीर को एक्टिव रखें. रोज हल्का-फुल्का व्यायाम करें. इससे नींद न आने की बीमारी (इंसोम्निया) कम होगी. मिज़ाज में सुधार आएगा, सेहत अच्छी होगी.
    -खुश रहें.
    -सकारात्मक रहें. जो परिवर्तन प्रकृति की तरफ से है हम उन्हें बदल तो नहीं सकते, लेकिन आसान तो कर ही सकते हैं.

    मैनोपॉज़ में करें ये योगासन-
    धनुरासन
    के लिए पेट के बल लेटें. दोनों पैरो को पीछे की तरफ धीरे-धीरे ऊपर उठायें. दोनों हाथों को पीछे की तरफ लेजाकर, पैरों को पकड़ें और धनुष के सामान आकृति बनाएं. इससे हार्मोनल बदलाव से आए शारीरिक और मानसिक दर्द में आराम मिलता है.

    शशांकासन में पैरो को पीछे की तरफ मोड़कर बैठें. गहरी सांस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर ले जाएं फिर सांस छोड़ते हुए हाथ नीचे की तरफ लाएं. हाथ जमीन पर टिका दें. इसके बाद सिर भी जमीन पर टिकाएं. इस दौरान पेट और रीढ़ सीधा रखें.

    अपनी परेशानी पर खुलकर बात करें. डॉक्टर से सलाह जरूर लें. हेल्थ से जुड़ी बाकी ख़बरें पढ़ने के लिए नीचे लिखे Health News पर क्लिक करें.

    Tags: Health Explainer, Health News

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