250 लोगों के इस गांव में 50 से अधिक हो चुके दिव्यांग, प्रशासन को नहीं है खबर

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250 लोगों के इस गांव में 50 से अधिक हो चुके दिव्यांग, प्रशासन को नहीं है खबर

दिव्यांग युवक की फोटो.

दिव्यांग युवक की फोटो.

गांव में फ्लोराइड युक्त जहरीला पानी इस कदर काल बन चुका है कि अब तक कई लोगों की समय से पहले मौत हो चुकी है.


    आजादी की लड़ाई में जिस गांव में फारवर्ड ब्लाक की स्थापना करके नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने युवाओं में जोश भरा था, अाज उसी गांव के लोग तिल तिलकर मरने को मजबूर हैं. मामला है यूपी के उन्नाव जिले के हसनगंज तहसील में स्थित मकुर गांव का. 250 की आबादी वाले इस गांव में 50 से अधिक दिव्यांग हैं. गांव में फ्लोराइड युक्त जहरीला पानी इस कदर काल बन चुका है कि अब तक कई लोगों की समय से पहले मौत हो चुकी है. जो बचे हैं वह भी चलने-फिरने में लाचार हैं. यहीं वजह है कि इस गांव में दो साल से शहनाई नहीं बजी है. पानी की एेसी दशत है कि लोग अपनी बेटियों की शादी इस गांव में करने से कतराते हैं.​



    सीडीओ को नहीं पता क्या है मामला

    आज मकुर गांव के लोगों की जिंदगी प्रशासनिक उदासीनता की वजह से किसी तरह से घिसट रही है. सबसे खास बात ये है कि गांव की स्थिति सुधारने में प्रशासन और मेडिकल साइंस भी पूरी तरह से फेल है. यहां का हर आदमी टेढ़ा-मेढ़ा और कमजोर दिखाई देता है. मामला सामने आने के बाद जिले के मुख्य विकास अधिकारी प्रेम रंजन सिंह ने न्यूज18 से बातचीत में बताया कि मेरे संज्ञान में पहली बार ये मामला आया है. मुझे इसकी जानकारी नहीं है. इस मुद्दे पर जिले के सीएमओ ही बेहतर बता पाएंगे.





    उन्नाव के सीएमओ डॉक्टर लालता प्रसाद



    क्या बोले सीएमओ

    हमने जिले के सीएमओ डॉक्टर लालता प्रसाद ने बताया कि यह मामला बहुत पुराना है. कई बार इस गांव की समस्या को लेकर हम लोग जिला प्रशासन को पत्र लिख चुके है. दिव्यांग होने के पीछे सबसे बड़ी वजह पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाया जाना है. कई बार जल निगम ने इस गांव में पानी का टैंकर भेजवाया था. लेकिन अभी तक स्थायी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. सीएमओं कहते है कि आपके माध्यम से दोबारा मामला हमारे सामने आया है. हम डीएम और जल निगम को पत्र लिखेंगे.


    हाथ-पैर होने लगे टेढ़े

    बता दें कि गांव में लगभग 30 घर हैं और लगभग 250 लोगों की आबादी है. हर आदमी के 20 साल बाद पैर टेढ़े होने लगते हैं. ज्यादातर महिलाओं की 30 साल के बाद कमर झुकने लगती है. 50 साल तक पहुंचते-पहुंचते यह सभी महिला पुरुष इतने बूढ़े हो जाते हैं कि देखने में 90 साल के लगते हैं.


    दिव्यांग गांव के रूप में पहचान

    मकुर गांव के रहने वाले राजेश बताते है कि इस गांव की सबसे बड़ी समस्या है पानी की. कई बार अधिकारियों को इसकी जानकारी दी. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. आज हालात बद से बदतर होते जा रहे है. तकरीबन हर घर में लोगों के हाथ-पैर टेढ़े होने लगे है. इस गांव की पहचान अब दिव्यांग गांव के रूप में होने लगी है.


    5 किलोमीटर दूर एक पानी की टंकी

    राजीव गांधी मकूर मलाव पेयजल समूह योजना के अंतर्गत गांव से 5 किलोमीटर दूर एक पानी की टंकी की स्थापना की गई थी. करीब दो साल तक पानी की सप्लाई हुई. पिछले 2 साल से मार्स नगर और मकूर गांव के अंदर पानी नहीं पहुंचा.



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    Tags: Akhilesh yadav, Samajwadi party, उन्नाव

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