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OPINION: राजस्थान में क्या राहुल बनाम वसुंधरा होगा इस बार का चुनाव?
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OPINION: राजस्थान में क्या राहुल बनाम वसुंधरा होगा इस बार का चुनाव?

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की फाइल फोटो
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की फाइल फोटो

कांग्रेस अभी गफलत में है, उसे समझ नहीं रहा कि वो वसुंधरा राजे के जवाब में किसे मैदान में उतारे, दो बार मुख्यमंत्री रहे ...अधिक पढ़ें

    विजय त्रिवेदी
    मेरे एक मित्र ने बताया कि जयपुर में एक सज्जन रहते हैं- गुल्लू साहब. गुल्लू साहब को वहां ‘सीजन का सौदागर’ कहते हैं, क्योंकि वो अपनी दुकान पर सीजन के हिसाब से माल बेचते हैं यानी दिवाली पर पटाखे-फूलझडियां, तो होली पर रंग-गुलाल और रक्षाबंधन के मौके पर राखियां. उनकी एक और खासियत यह है कि वो बीजेपी के कार्यकर्ता हैं और जब भी चुनाव आते हैं तो वे अपना पुराना स्कूटर निकाल लेते हैं, उसे बीजेपी के रंग में रंगते हैं, बीजेपी का झंडा लगाते हैं और फिर पार्टी के प्रचार के लिए निकल जाते हैं, लेकिन पार्टी से कोई फायदा उठाने की उम्मीद नहीं रखते. अरसे तक जब बीजेपी विपक्ष की पार्टी रहा करती थी तो गुल्लू साहब कहते थे कि वाजपेयी जी अगर प्रधानमंत्री बन जाएं तो वे पूरे राजस्थान के दौरे पर निकल जाएंगें शुक्रिया करने.

    खैर, मकसद गुल्लू साहब की बात करने भर का नहीं है, दरअसल राजस्थान में आजकल ज्यादातर राजनेता सीजन के सौदागर हो गए हैं. अब चुनावों का सीजन है तो राजनेता चुनावी प्रचार पर निकल गए हैं और वे हर इलाके के हिसाब से अपनी बात रखते हैं, उसी तरह पेश आते हैं, उसी तरह के वादे भी करते हैं. राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी चार अगस्त से रथयात्रा पर निकल गई हैं और इस यात्रा को नाम दिया गया है गौरव यात्रा, इससे पहले उन्होंनें पिछले चुनाव में परिवर्तन यात्रा की थी जब अशोक गहलोत की सरकार को बदलना था और उससे पहले सुराज यात्रा.

    जयपुर के दो प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन करने जाएंगे राहुल गांधी
    कांग्रेस अभी गफलत में है, उसे समझ नहीं रहा कि वो वसुंधरा राजे के जवाब में किसे मैदान में उतारे. दो बार मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत को या फिर प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को. अब कहा जा रहा है कि कांग्रेस राहुल गांधी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी, तो क्या राहुल बनाम वसुंधरा चुनाव होगा. अब तक खुद को मुसलमानों का पैरोकार बताने वाली कांग्रेस के अध्यक्ष जब 11 अगस्त को जयपुर में होंगें तो उनका जयपुर के दो प्रसिद्ध मंदिरों मोती डूंगरी के गणेश जी और शहर के आराध्य माने जाने वाले गोविन्द देव जी के मंदिर में दर्शनों का कार्यक्रम है.




    ये दोनों जयपुर शहर के अहम मंदिर माने जाते हैं लेकिन आज तक किसी पार्टी के अध्यक्ष ने इन मंदिरों के दर्शन नहीं किए हैं. मोती डूंगरी गणेश जी के दर्शन के बिना तो आमतौर पर जयपुर में कोई शुभकार्य किया ही नहीं जाता चाहे फिर वो शादी का निमंत्रण पत्र हो या नई गाड़ी खरीदने का मामला या फिर चाहे व्यापार शुरू करना हो. जयपुर राजपरिवार और फिर शहर के आराध्य रहे गोविन्द देव मंदिर की मंगला झांकी के लिए तो हजारों जयपुरवासी सवेरे साढ़े चार बजे दौड़ते भागते दर्शन के लिए रोजाना पहुंचते ही हैं, मगर सवाल यह है कि राहुल गांधी को वो अब क्यों याद आए?

    चुनाव के समय इलाके के मुताबिक खुद को बताती हैं वसुंधरा
    मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए कहा जाता है कि चुनावों के दौरान वे किसी इलाके में राजपूत होती हैं यानी पूर्व राजमाता विजया राजे सिंधिया की बेटी तो किसी इलाके में जाट यानी अपने धौलपुर ससुराल की बहू तो फिर किसी इलाके में वे अपने बेटे की पत्नी से रिश्ता जोड़ते हुए गुर्जर हो जाती हैं. अंग्रेजी मीडिया या बड़े लोगों से बात करते हुए वे ‘एलीट क्लास’ होती हैं तो प्रचार के दौरान आम महिला से जुड़ी हुई और अभिवादन में राम-राम करती हुईं.

    यह भी पढ़ेंः राजस्‍थान में राहुल vs वसुंधरा का टेंपल रन, जानिए दोनों के शाही रथ का हाल

    दिल्ली और लंदन के पांच सितारा होटलों से लेकर धौलपुर या जोधपुर की किसी ढाणी में चारपाई पर आराम से बैठ जाती हैं. वो आदिवासियों की पोशाक भी उतने ही अंदाज़ से पहनती हैं जितनी जोधपुरी बंधेज या फिर डिजायनर साड़ी. अभी उनकी गौरव यात्रा की बस में जब वे लिफ्ट से ऊपर छत पर बाहर आती हैं तो गांवों में उन्हें देखने के लिए भीड़ जुट जाती हैं, वसुंधरा खुद भी कहती हैं कि मेला है यह. मेले में भीड़ जुटेगी तो इसका फायदा भी होगा. पहली बार 1989 के चुनाव में जब देवीलाल ऐसा रथ लेकर निकले थे तो गांव क्या शहरों में भी उसके लिए मेला लग जाता था.



    इस बार की गौरव यात्रा शुरू करने से पहले वसुंधरा राजे ने मॉब लिंचिग की घटनाओं पर कड़ा ऐतराज ही नहीं जताया, सख्त कारवाई के आदेश भी दिए, लेकिन उनकी सरकार ही इस वक्त राज्य के कई हिंदू बहुल इलाकों या गांवों के मुस्लिम नाम बदल कर हिंदू नाम रख रही है. राज्य सरकार के राजस्व विभाग ने 15 गांवों की सूची भारत सरकार को भेजी थी और अब नाम बदलने का काम शुरू हो गया है. सीमा से जुड़े बाड़मेर में ‘मियां का बाड़ा’ गांव का नाम बदल कर अब ‘महेश नगर’ हो गया है. अजमेर जिले के ‘सलेमाबाद’ का नाम अब ‘श्री निम्बार्क तीर्थ’ हो गया है. चित्तौड़गढ़ जिले की भदेसिया तहसील के ‘मंडफिया गांव’ में ‘सांवलिया सेठ’ का प्रसिद्ध मंदिर है, उस के नाम पर इस गांव का नाम बदलने की तैयारी है.

    क्या राहुल की रैली कांग्रेस नेताओं के दिल भी मिलेंगे
    इस सप्ताह दिल्ली में एक वरिष्ठ पत्रकार के पुस्तक के विमोचन समारोह में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट मौजूद थे लेकिन वे बीजेपी के गौरव भाटिया के इस सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए कि कांग्रेस क्यों सिर्फ रकबर की मॉब लिंचिग का मामला उठा रही है, आदिवासी खेताराम पर उसकी चिंता क्यों नहीं हैं. महा-गठबंधन बनाने वाली कांग्रेस राजस्थान में बीएसपी को साथ नहीं लेना चाहती. राहुल गांधी के जयपुर के समारोह में सभी दिग्गज कांग्रेसी नेता साथ रहेंगें और शायद हाथ से हाथ मिलाकर एक साथ भी खड़े दिखाईं दें, लेकिन ज़रूरत तो उनके दिल मिलाने की है. बीजेपी में वसुंधरा राजे और अमित शाह की कोशिश से सभी अलग-अलग गुट एक साथ हो गए हैं, बूथ लेबल पर तैयारी हो गई है.

    यह भी पढ़ेंः जयपुर में राहुल गांधी का चुनावी शंखनाद आज, मंदिर दर्शन पर सस्पेंस

    समारोह में राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव बोले- चिंता किसान और जवान की होनी चाहिए, लेकिन चुनाव फिर हिंदू-मुसलमान हो जाता है. पत्रकार ने बीजेपी नेता से पूछा कि सरकार के वादों को पूरा करने का क्या हुआ? गौरव भाटिया बोले- तीन तलाक के मसले को हमने सुलझाया, राम मंदिर का मुद्दा भी सुलझ जाएगा और नेहरू मेमोरियल सभागार में बैठे लोगों की हंसी की आवाज कुछ तेज हो गई थी.

    (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं. ये उनके निजी विचार हैं.)

    Tags: BJP, Congress, Rajasthan news