अनंत चतुर्दशी के दिन संकटों से रक्षा के लिए बांधा जाएगा अनन्त सूत्र

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अनंत चतुर्दशी के दिन संकटों से रक्षा के लिए बांधा जाएगा अनन्त सूत्र

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतीकात्मक तस्वीर

इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करने का विधान है. यह पूजा दोपहर के समय की जाती है.

  • News18Hindi
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    भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनन्त चतुर्दशी कहा जाता है. इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करते हैं. संकटों से रक्षा करने वाला अनन्त सूत्रबांधा जाता है. इस व्रत के पीछे मान्यता है कि जब पाण्डव जुए में अपना सारा राज-पाट हारकर कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्त चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी. युधिष्ठिर ने अपने भाइयों और द्रौपदी के साथ विधि-विधान से यह व्रत कर अनन्त सूत्र धारण किया था.  जिससे वे सब संकटों से मुक्त हो गए थे.

    विधि
    -प्रात:स्नान करके व्रत का संकल्प करें.
    -घर में पूजागृह की स्वच्छ भूमि पर कलश स्थापित करें.
    -कलश पर शेषनाग की शैय्यापर लेटे भगवान विष्णु की मूर्ति अथवा चित्र को रखें.
    -उनके समक्ष चौदह ग्रंथियों (गांठों) से युक्त अनन्तसूत्र (डोरा) रखें.
    -इसके बाद ॐ अनन्तायनम: मंत्र से भगवान विष्णु तथा अनंत सूत्र की विधि से पूजा करें.
    -पूजा के दौरानअनन्त सूत्र को मंत्र पढ़कर पुरुष दाहिने और स्त्री बाएं हाथ में बांध लें.
    -अनन्त सूत्र बांधने के पश्चात ब्राह्मण को नैवेद्य (भोग) पकवान देकर सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें.
    -पूजा के बाद व्रत-कथा को पढ़ें या सुनें.

    नियम
    1. इस व्रत के लिए चतुर्दशी तिथि सूर्य उदय के पश्चात दो मुहूर्त में व्याप्त होनी चाहिए.
    2. यदि चतुर्दशी तिथि दो मुहूर्त से पहले ही समाप्त हो जाए, तो अनन्त चतुर्दशी पिछले दिन मनाये जाने का विधान है.
    3. इस दिन भगवान विष्णु के अनन्त रूप की पूजा करने का विधान है. यह पूजा दोपहर के समय की जाती है. इस व्रत की पूजन विधि इस प्रकार है-

    -इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल पर कलश स्थापना करें.
    -कलश पर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करें.
    -एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनन्त सूत्र तैयार करें, इसमें चौदह गांठें लगी होनी चाहिए.

    Tags: Religion

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